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नमो देव्यै, महादेव्यै: शहीद कालिया की मां बोलीं, मैं हर नौजवान में अपने सौरभ को देखती हूं

जब एक जवान देश के लिए शहीद होता है तो फिर वह उस परिवार का नहीं रह जाता बल्कि पूरे देश का हो जाता है। यहीं अब सौरभ के मामले में है। सौरभ हर मां का था।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 01:34 PM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 02:13 PM (IST)
नमो देव्यै, महादेव्यै: शहीद कालिया की मां बोलीं, मैं हर नौजवान में अपने सौरभ को देखती हूं
नमो देव्यै, महादेव्यै: शहीद कालिया की मां बोलीं, मैं हर नौजवान में अपने सौरभ को देखती हूं

विजय कालिया, पालमपुर। नवरात्र की शुभकामनाएं। शहीद की मां हूं। कारगिल के पहले शहीदों में से एक कैप्टन सौरभ कालिया की मां! कमजोर तो कभी हो नहीं सकती। सौरभ बेशक अब शरीर के रूप में नहीं है लेकिन वह इस तरह अमर है कि मुझे हर नौजवान में सौरभ ही दिखता है। यह उनके लिए भी संदेश है कि देश के लिए और अपने मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध रहो। मैंने एक टुकड़ा देश के नाम किया था, मुझे करोड़ों बच्चे दिखते हैं अब। मेरी ताकत, मेरा हौसला आप सब बेटे हैं मेरे। जो भी मिलता है, वह इतना सम्मान और प्रेम देता है कि मैं हर किसी में सौरभ को देखती हूं। उसी की दी हुई ताकत है कि मैं अपने साथ न केवल घर को भी संभाल पाई बल्कि गैस एजेंसी को भी जनसेवा का माध्यम माना।

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स्वास्थ्य कारणों से डेढ़ साल से अब कार्यालय में जाना कम ही होता है लेकिन जज्बा बना हुआ है।  सामाजिक कार्यों में भी स्वास्थ्य ठीक रहने तक खुल कर हिस्सा लिया। जिन बच्चों या लोगों के काम आ सकी, उसका भी संतोष भी है। वास्तव में जब एक जवान देश के लिए शहीद होता है तो फिर वह उस परिवार का नहीं रह जाता बल्कि पूरे देश का हो जाता है। यहीं अब सौरभ के मामले में है। सौरभ हर मां का था।

आलम यह है कि हर मां सौरभ को अपना बेटा समझती है। मेरे दुख को अपना दुख बताती है तो बच्चे अपना प्यार लुटाने के लिए हरदम तैयार रहते हैं। सच कहूं, लगता नहीं कि सौरभ कहीं चला गया है। उसे मैं हर समय अपने आस-पास महसूस करती हूं। मुझे वह सभी में दिखता है। कभी घर में आता हुआ... कभी खामोशी से पढ़ता हुआ देखती हूं उसे....कभी वह अपने ध्यान में मग्न बैठा हुआ होता है। जहां भी जाती हूं उसे लेकर ही बात होती है।

हालांकि कभी-कभी मन में यह टीस अचानक उठती है कि सौरभ के साथ जो कुछ पाकिस्तानियों ने किया, वह ठीक नहीं था। जंग होती है, सैनिक इधर-उधर हो जाते हैं लेकिन जिन्होंंने अमानवीय अत्याचार किए, उनके खिलाफ कार्रवाई तो होनी चाहिए थी। अपने स्तर पर प्रयास आरंभ किए थे और लोगों ने भी भरपूर साथ दिया। डॉ. कालिया और मैं अब भी प्रयासरत हैं लेकिन सरकार इस मामले में अपने स्तर पर प्रयास करे तो कुछ हो सकता है। अमानवीय अत्याचार करने वाले उन आंतकियों और उनके सरपरस्तों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। (कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया की माता ने जैसा 'दैनिक जागरण' को बताया)


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