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मंडी उपचुनाव: 2004 के बाद लगातार घटा कांग्रेस का जनाधार, वीरभद्र सिंह भी आठ हलकों में ही ले पाए थे बढ़त, पढ़ें खबर

Mandi By Election मंडी में 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का जनाधार लगातार कम हुआ है। संगठित भाजपा इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पर भारी पड़ी है। 2009 के लोकसभा चुनाव में भले ही पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भाजपा के महेश्वर सिंह को पराजित कर दिया था

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 07:11 AM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 07:11 AM (IST)
मंडी उपचुनाव: 2004 के बाद लगातार घटा कांग्रेस का जनाधार, वीरभद्र सिंह भी आठ हलकों में ही ले पाए थे बढ़त, पढ़ें खबर
मंडी संसदीय क्षेत्र में 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का जनाधार लगातार कम हुआ है।

मंडी, हंसराज सैनी। Mandi By Election, मंडी संसदीय क्षेत्र में 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का जनाधार लगातार कम हुआ है। संगठित भाजपा इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पर भारी पड़ी है। 2009 के लोकसभा चुनाव में भले ही पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भाजपा के महेश्वर सिंह को पराजित कर दिया था, लेकिन जीत का अंतर महज दो फीसद था। वीरभद्र सिंह को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ा था। 17 में से आठ हलकों में बढ़त मिली थी। सात हलकों में भरमौर, आनी, करसोग, नाचन, द्रंग, सदर व किन्नौर में बढ़त मामूली थी। रामपुर हलके में वीरभद्र को 62.78 फीसद वोट नहीं मिले होते हो उनकी हार लगभग तय थी। रामपुर हलके में मिली बढ़त के सहारे ही वह 13,997 मतों से जीत हासिल कर पाए थे। महेश्वर सिंह को इस चुनाव में 29.69 फीसद वोट मिले थे।

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2004 के चुनाव में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह 66,566 मतों से जीती थीं। उस समय धर्मपुर हलका भी इस संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था। 17 में से 13 हलकों में कांग्रेस को बढ़त मिली थी। भाजपा की बल्ह, गोपालपुर, धर्मपुर व जोगेंद्रनगर हलके में ही लाज बची थी। 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। वीरभद्र ङ्क्षसह मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस को 17 में से चार हलकों भरमौर, लाहुल-स्पीति, रामपुर व किन्नौर में ही बढ़त मिल पाई थी। 13 हलकों में भाजपा के रामस्वरूप शर्मा को जादू लोगों के सिर पर चढ़कर बोला था। 2009 के चुनाव के मुकाबले रामपुर हलके में कांग्रेस के वोट बैंक करीब चार प्रतिशत की गिरावट आई थी। भाजपा को चार फीसद अधिक वोट मिले थे।

2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की आंधी में कांग्रेस के किले पूरी तरह ढह गए थे। 17 में से चार हलकों लाहुल-स्पीति, रामपुर, मनाली व किन्नौर में ही कांग्रेस प्रत्याशी रहे आश्रय शर्मा को 30 फीसद से अधिक वोट मिले थे। वह अपने गृह हलके सदर तो दूर अपने बूथ पर भी बढ़त हासिल नहीं कर पाए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर भी गौर करें तो 17 में से 14 हलकों पर भाजपा का कब्जा है। कुल्लू, रामपुर व किन्नौर हलके में कांग्रेस को जीत मिली थी।

2013 के उपचुनाव में एकतरफा रहा था मुकाबला

मंडी संसदीय क्षेत्र में मई 2013 में उपचुनाव हुआ था। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा था। जयराम ठाकुर भाजपा प्रत्याशी थे। 17 हलकों से एक भी हलके में भाजपा को बढ़त नहीं मिली थी। जयराम ठाकुर का उनके हलके के लोगों ने भी साथ नहीं दिया था। रामपुर हलके में कांग्रेस को सर्वाधिक 79.61 प्रतिशत मत मिले थे। प्रतिभा सिंह करीब 1.39 लाख मतों से विजयी हुई थी। क्षेत्र के लोगों ने उपचुनाव में सत्ता पक्ष का साथ दिया था।


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