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Shardiya Navratri 2019: यहां पत्थराें को आपस में टकराने पर माता पूरी करती है मनोकामना

इस मंदिर में जब भी कोई मन्नत मांगता है तो वहां रखे पत्थरों को आपस में टकराता है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 12:11 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 03:51 PM (IST)
Shardiya Navratri 2019: यहां पत्थराें को आपस में टकराने पर माता पूरी करती है मनोकामना
Shardiya Navratri 2019: यहां पत्थराें को आपस में टकराने पर माता पूरी करती है मनोकामना

हमीरपुर, जेएनएन। हमीरपुर से करीब 14 किलोमीटर दूर 300 साल पुराने टौणी देवी मंदिर का अनूठा इतिहास है। चौहान वंश से इस देवी का गहरा नाता है। हर साल नवरात्र के उपलक्ष्य में यहां पर धार्मिक आयोजन किया जाता है। पांच अक्टूबर को विशाल भंडारा किया जाएगा। यहां चौहान वंश की कुलदेवी माता टौणी देवी की याद में हर साल मेले का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि माता टौणी देवी को सुनाई नहीं देता था। इसलिए जब भी कोई मन्नत मांगता है तो वहां रखे पत्थरों को आपस में टकराता है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। माता टौणी देवी के भाइयों ने उनकी याद में मंदिर की स्थापना की थी जो आज भव्य रूप धारण कर चुका है। माता के दरबार में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी चौहान वंश के लोग दर्शन करने आते हैं। यहां पर कई सालों से कमेटी काम कर रही है जो कि श्रद्धालुओं के रहने के लिए हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवाती है।

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इतिहास

300 साल पुराने इस मंदिर में मुगलों का कब्जा हो गया तो उन्होंने राजपूत महिलाओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। जब राजपूतों के जनेऊ उतार कर धर्म परिवर्तन करवाने लगे तो चौहान वंश के 12 भाइयों ने इस पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र में शरण ली थी, ताकि वह अपने धर्म और परिजनों की रक्षा कर सकें। उनके साथ उनकी बहन भी थी, जिसे सुनाई नहीं देता था। परिवार के मुखिया ने बाकर कुनाह और पुंग खड्ड के केंद्र पर भवन की योजना बनाई, लेकिन जिस जगह पर आधारशिला रखी गई वहां पर खून की धारा निकलने पर सब हैरान हो गए। इस पर जब कुल पुरोहित से बात की गई तो उन्होंने इसके लिए घर की कुंवारी कन्या को दोषी बताया। घर की महिलाओं ने माता टौणी देवी पर आरोप लगाए, जिस पर माता ने इस स्थान पर घोर तपस्या की और आषाढ़ मास के 10 प्रविष्ट को अंतध्र्यान हो गईं।

यहां हर साल मेला लगता है। यहां पर हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से श्रद्धालु आना शुरू हो गए हैं। उनके ठहरने के लिए मंदिर में व्यवस्था है। मंदिर में आठ कमरों के अलावा एक हॉल है, जहां पर संगत आराम करने के लिए रुकती है। -धर्म सिंह, कमेटी प्रधान टौणी देवी मंदिर।


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