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बादल फटने या भारी बारिश से हर साल करोड़ों का नुकसान

हिमाचल प्रदेश में हर साल बरसात कहर बनकर टूटती है। भारी बारिश व बादल फटने से करोड़ों रुपये का जान-माल का नुकसान हो जाता है। हर वर्ष करीब 1000 से 1500 करोड़ का नुकसान मानसून में होता है।

By Neeraj Kumar AzadEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 08:09 PM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 08:09 PM (IST)
बादल फटने या भारी बारिश से हर साल करोड़ों का नुकसान
भारी बारिश के कारण खड्ड में बढ़ा जलस्तर। जागरण

राज्य ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश में हर साल बरसात कहर बनकर टूटती है। भारी बारिश व बादल फटने से करोड़ों रुपये का जान-माल का नुकसान हो जाता है। हर वर्ष करीब 1000 से 1500 करोड़ का नुकसान मानसून में होता है। बरसात से पहले किसी भी आपदा से निपटने के लिए बैठकें आयोजित की जाती हैं और आवश्यक निर्देश भी जारी किए जाते हैं। इन निर्देशों पर बारिश ऐसा कहर बरपाती है कि सारे इंतजाम धरे के धरे रह जाते हैं और तैयारियों की पोल खोल कर रख देते हैं।

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इसबार भी सात जून को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन को लेकर सभी जिला उपायुक्तों और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए थे। पानी की निकासी के उचित प्रबंध न होने और नालों की सफाई न होने का परिणाम आपदा के तौर पर सामने आते है। प्रदेश में शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, चंबा और कांगड़ा जिला अति संवेदनशील है। भारी बारिश से सैकड़ों मकान क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। सड़कों व पेयजल योजनाओं को नुकसान होता है। बिजली आपूर्ति बाधित होती है। फसलों और पौधों को नुकसान होता है।

ऐसे फटता है बादल

मौसम विज्ञानियों के अनुसार जब बादल भारी मात्रा में आद्र्रता यानी पानी लेकर आसमान में घूमते हैं और उनकी राह में कोई बाधा आ जाती है, तब वे अचानक फट पड़ते हैं और बहुत तेजी से बारिश होती है। बादल फटने की घटना पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है। इससे होने वाली वर्षा लगभग 100 मिलीमीटर प्रति घंटा की दर से होती है। एक सीमित क्षेत्र में कई लाख लीटर पानी एक साथ पृथ्वी पर गिरता है, जिसके कारण उस क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है। इस पानी के रास्ते में आने वाली हर वस्तु क्षतिग्रस्त हो जाती है। जब गर्म हवा ऐसे बादल से टकराती है, तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है।

अभी एसआरएएफ नहीं आपदा से निपटने को तैयार

प्रदेश में एनडीआरएफ की टुकडियों को बरसात के दौरान होने वाले नुकसान के लिए अलग-अलग जगह पर तैनात किया गया है, जबकि एसडीआरएफ यानी स्टेट डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स अभी तीन स्थानों शिमला, कांगड़ा व मंडी में स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ अभी नियुक्तियां की जा रही हैं और उसके बाद प्रशिक्षण के बाद तैनात हो जाएगी।


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