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चुनावी मुद्दा : राजनेताओं का खनियारा, बेरोजगारी का मारा

Leaders village khaniara कभी सोने की चिडिय़ा कहे जाने वाला कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के खनियारा गांव में आज सुविधाओं की कमी है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Mon, 18 Mar 2019 02:58 PM (IST)Updated: Mon, 18 Mar 2019 04:18 PM (IST)
चुनावी मुद्दा : राजनेताओं का खनियारा, बेरोजगारी का मारा
चुनावी मुद्दा : राजनेताओं का खनियारा, बेरोजगारी का मारा

धर्मशाला, राजेंद्र डोगरा। कभी सोने की चिडिय़ा कहे जाने वाला कांगड़ा संसदीय क्षेत्र का खनियारा गांव आज बदहाली पर आंसू बहा रहा है। हजारों लोगों को रोजगार मुहैया करवाने वाले इस गांव के बाशिंदे अब रोजगार के लिए धर्मशाला शहर पर निर्भर होकर रह गए हैं। साथ ही यहां मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। प्रदेश की राजनीति में इस गांव का अहम योगदान रहा है। वर्तमान में धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र के विधायक एवं प्रदेश सरकार में मंत्री खनियारा से ही हैं। गांव से सबसे पहले विधायक मूलराज पाधा बने थे। उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर 1985 में धर्मशाला से चुनाव जीता।

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इसके बाद पांच बार किशन कपूर विधानसभा चुनाव जीते। मौजूदा सरकार में वह खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री हैं। अक्टूबर 2015 में धर्मशाला शहर को नगर परिषद से नगर निगम बना दिया गया और मर्ज क्षेत्र के रूप में वार्ड 15 से ही रजनी वार्ड पार्षद निर्वाचित हुई। मार्च 2016 में उन्होंने महापौर का चुनाव जीता तथा 9 अप्रैल, 2016 को उन्होंने धर्मशाला नगर निगम की पहली महापौर के रूप में कार्यभार संभाला। उनका कार्यकाल ढाई साल रहा। राजनीति में अहम योगदान देने वाला खनियारा मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। 2001 में इस गांव की तीन पंचायतें खनियारा, सौकणी दा कोट व सिद्धपुर बनी।

1990 से पहले खनियारा स्लेट खानों के कारण सोने की चिडिय़ा थी और इस कारण यहां धर्मशाला क्षेत्र ही नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर, चंबा व मंडी सहित दूरदराज क्षेत्रों के हजारों लोग रोजगार प्राप्त करते थे। इसके बाद स्लेट खानों पर वन विभाग की ओर से रोक लगाने के कारण लोग रोजगार के लिए भटकने को मजबूर हो गए। वर्तमान में खनियारा की आधे से ज्यादा आबादी धर्मशाला में रोजगार प्राप्त कर रही है।

न वर्षाशालिका, न ही शौचालय
खनियारा का मुख्य बाजार वर्षाशालिका से वंचित है। यहां धर्मशाला समेत अन्य क्षेत्रों में जाने वाले लोगों को रोजाना बसों के इंतजार के लिए सड़क किनारे खड़ा होना पड़ता है। बारिश व धूप में दुकानों की ही शरण लेनी पड़ती है। साथ ही सुलभ शौचालय का भी अभाव है। हालांकि पंचायत स्तर पर शौचालय तो बनाया गया है, लेकिन वह मुख्य बाजार से सौ मीटर की दूरी पर है।

देवता इंद्रुनाग भी खनियारा में
धर्मशाला क्षेत्र के पीठासीन देवता इंद्रुनाग का मंदिर भी खनियारा में ही है। इंदुनाग को बारिश का देवता कहा जाता है। मंदिर में किसान बारिश व धूप के लिए पूजा अर्चना करते हैं। इसके अलावा धर्मशाला स्थित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में होने वाले आयोजनों के दौरान भी हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी यहां पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा गांव में अघंजर महादेव का मंदिर भी है।

सरकार को स्लेट खानों को दोबारा शुरू करना चाहिए ताकि स्थानीय बाङ्क्षशदों के साथ-साथ दूसरे क्षेत्र के लोगों को भी रोजगार मिल सके। पहले यहां हजारों लोग रोजगार प्राप्त करते थे। हालांकि गांव में  प्रोजेक्ट तो लगे हैं, लेकिन वहां चहेतों को ही प्राथमिकता दी जाती है। -अमर सिंह

क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की दरकार है। गांव में वर्षाशालिका तक नहीं है। लोगों को बारिश या धूप में बसों के इंतजार के लिए दुकानों की शरण लेनी पड़ती है। शौचालय भी मुख्य बाजार में नहीं है।  -सचिन सिंह।

शहरी निकाय में शामिल होने के बावजूद क्षेत्र के लोग सुविधाओं से वंचित हैं। यहां तक की सीवरेज की सुविधा भी नसीब नहीं हो पाई है। सरकार को चाहिए कि यहां रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए। -विकास, धीमान।

विभाग की ओर से स्लेट खानों को कानूनी तौर पर चलाने का प्रयास किया जा रहा है। यहां करीब 25 हेक्टेयर क्षेत्र को चिह्नित किया गया है। पहले चरण में 15 हेक्टेयर की नीलामी की गई है, जबकि 10 हेक्टेयर और क्षेत्र की नीलामी की प्रक्रिया जारी है। -राजीव कालिया, जिला खनन अधिकारी कांगड़ा।


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