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लाहुल और पांगी को लद्धाख में मिलाने के प्रस्‍ताव का ग्रामीण युवा संगठन ने किया विरोध

लद्धाख के धार्मिक संगठनों की ओर से गृह मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव का प्रस्‍ताव का ग्रामीण युवा संगठन ने विरोध किया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 04:19 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 04:19 PM (IST)
लाहुल और पांगी को लद्धाख में मिलाने के प्रस्‍ताव का ग्रामीण युवा संगठन ने किया विरोध

मनाली, जेएनएन। लद्धाख के धार्मिक संगठनों की ओर से गृह मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव का प्रस्‍ताव का ग्रामीण युवा संगठन ने विरोध किया है। लद्धाख के धार्मिक संगठनों ने जिला लाहुल स्पीति और चंबा जिले की पांगी घाटी को 31 अक्‍टूबर को जारी होने वाली अधिकारिक अधिसूचना में लद्धाख में शामिल करने की मांग उठाई है। इसके लिए केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह को भी प्रस्ताव भेजा है। ग्रामीण युवा संगठन (GYS) लाहुल स्पीति ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। एनजीओ के सह सचिव एडवोकेट वीरेंद्र ठाकुर ने लाहुल स्पीति और पांगी से लेह की दूरी अधिक होने के कारण केंद्र शासित लद्धाख से जोड़ने को अव्यवहारिक व लोगों को परेशान करने वाला प्रयास होगा।

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एडवोकेट ठाकुर ने लद्धाख एसोसिएशन के इस दावे को भी नकारा है कि लाहुल स्पीति और पांगी मुग़ल और डोगरा शासकों के दौर में लद्धाख का हिस्सा था। सच यह है कि चौथी शताब्दी में गुप्त काल के दौरान, उदयपुर उपमंडल और पांगी क्षेत्र चंबा राजा और ठाकुरों और राणाओं के नियंत्रण में था। चंबा राजा पृथ्वी सिंह, जिन्होंने 1641 से 1664 ई तक चंबा पर शासन किया, लाहुल में राज करने के उनके कई प्रमाण हैं। चंबा राजा उदय सिंह (1690 ई०) ने मारूल-मरगुल का नाम बदलकर उदयपुर रखा था। ग्रामीण युवा संगठन के सभी एग्जीक्यूटिव मेंबर लद्धाख एसोसिएशन के इस प्रस्ताव का विरोध करते हैं और लाहुल-स्पीति हिमाचल प्रदेश का अटूट अंग था और रहेगा।


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