हिमाचल में किडनी ट्रांसप्लांट पर आएगा अब आधा खर्च, पढ़ें खबर
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलज (आईजीएमसी) में अब मरीज का मर्ज तो कम होगा ही साथ ही कम खर्च में इलाज होगा।
शिमला, रामेश्वरी ठाकुर। राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलज (आईजीएमसी) में अब मरीज का मर्ज तो कम होगा ही साथ ही कम खर्च में इलाज होगा। किडनी के मरीजों का हिमाचल में इलाज शुरू होने के बाद लाखों रुपये भी बच सकेंगे। चंडीगढ़ या दिल्ली में किसी बड़े अस्पताल में इसका इलाज कराने पर अभी तक आठ से 10 लाख का खर्च होता है। अब आइजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद चार से पांच लाख में ही सुविधा मिल सकेगी। हालांकि शुरू में लागत कुछ ज्यादा रहेगी, लेकिन बाद में रुटीन होने पर कास्ट चार से पांच लाख ही रह जाएगी।
हिम केयर में भी इसे सरकार ने कवर कर रखा है। ऐसे में हिम केयर बीमा करवाने वालों को मुफ्त ही किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा हिमाचल में मिलेगी। पहले ट्रांसप्लांट की सुविधा प्रदेश के किसी भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं थी। इसके चलते मरीजों को मजबूरन पीजीआई चंडीगढ़, फोर्टिस अस्पताल या फिर दिल्ली जाना पड़ता था। वहां रहने, खाने-पीने, इलाज करवाने का खर्चा कम से कम आठ से 10 लाख तक आ जाता था। बीमारी के चलते मरीज को अस्पताल के कई चक्कर काटने पड़ते थे। ऐसे में कई मरीजों को सही समय पर ईलाज नहीं मिल पाता था। आइजीएमसी में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा बीते सोमवार से मिलनी शुरू हुई है। यहां किडनी के दो सफल ट्रांसप्लांट हुए। आइजीएमसी में इस सुविधा के शुरू होने से हिमाचल वासियों को बहुत बड़ी राहत मिली है।
प्रोत्साहन के तौर पर शुरुआती ऑपरेशन होंगे फ्री प्रोत्साहन के तौर पर शुरुआती किडनी ट्रांसप्लांट के ऑपरेशन फ्री करवाए जाएंगे। सरकार की ओर से यह निर्देश जारी हुए हैं। बाद में ट्रांसप्लांट के दौरान मरीज का कम से कम खर्चा हो, इसका प्रयास किया जाएगा।
बाहरी राज्यों में ट्रांसप्लांट करवाने के लिए मरीजों को अब भटकने की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा हिमकेयर और आयुष्मान कार्ड धारकों को ऑपरेशन के लिए किसी प्रकार का खर्च नहीं करना पड़ेगा। उन्हें दवासे लेकर ऑपरेशन का सामान सब मुफ्त उपलब्ध करवाया जाएगा। -डॉ. जनकराज, एमएस आइजीएमसी।
बार-बार डायलसिस करवाने से बढ़ता था खर्च
अगर किसी मरीज की किडनियां खराब हैं तो बार-बार डायलसिस करवाना पड़ता है। डायलसिस करने के लिए अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। ऐसे में बीमारी से साथ आने जाने में खर्च बढ़ जाता था। इसके अलावा इस बीमारी का स्थायी इलाज ट्रांसप्लांट है। एक बार ट्रांसप्लांट करवाने से मरीज इन सब झंझटों से बच जाता है।