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खबर के पार: बदल रहा है मौसम बाहर-भीतर, पढ़ें प्रदेश की राजनीति के मौजूदा हालात

दरअसल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जगत प्रकाश नड्डा पहली बार हिमाचल प्रदेश आ रहे हैं लेकिन प्रदेश की राजनीति में हालिया घटनाक्रम बताता है कि नड्डा यहीं थे।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 04:39 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 09:42 AM (IST)
खबर के पार: बदल रहा है मौसम बाहर-भीतर, पढ़ें प्रदेश की राजनीति के मौजूदा हालात
खबर के पार: बदल रहा है मौसम बाहर-भीतर, पढ़ें प्रदेश की राजनीति के मौजूदा हालात

धर्मशाला, नवनीत शर्मा। वासंती बयारों और नई कोंपलों के इस मौसम में वीरवार को जब भाजपा के नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का स्वागत और नागरिक अभिनंदन किया जाएगा, उसमें प्रदेश का गर्व मुस्कराएगा और उम्मीदें-अपेक्षाएं भी नया रूप लेंगी। बड़ी तैयारियां बता रही हैं कि स्वागत भव्य होगा। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद जगत प्रकाश नड्डा पहली बार हिमाचल प्रदेश आ रहे हैं लेकिन प्रदेश की राजनीति में हालिया घटनाक्रम बताता है कि नड्डा यहीं थे।

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कुछ अरसा पहले तक सरकार बताती थी कि प्रदेशाध्यक्ष जल्द चुन लिया जाएगा। बदले हुए मौसम में अब स्वाभाविक रूप से दिल्ली की सक्रिय सहभागिता दिख रही है। जिस तरह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के लिए नाम चल रहे थे और अंतत: घोषणा किसी और नाम की हुई, उसी प्रकार विधानसभा अध्यक्ष के लिए सब नाम धरे-धराए रह गए। मुख्यमंत्री  ठाकुर जयराम ने भी कुछ छिपाया नहीं कि और मीडिया के सामने पूरी मासूमियत के साथ कहा कि उन्हें फोन आया है कि स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ही विधानसभा अध्यक्ष होंगे।

मंत्रिमंडल विस्तार पर मुख्यमंत्री साफ कहते रहे हैं कि आलाकमान से चर्चा के बाद पद भर दिए जाएंगे और यह सब किसी भी वक्त हो सकता है। इसी प्रकार भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में शामिल किए गए चेहरे भी बताते हैं कि अब भाजपा का मौसम बदल रहा है। इसे कांगड़ा जैसे बड़े जिले समेत समूचे राज्य में पार्टी को नए सिरे से आकार देने की कसरत के रूप में भी देखा जा सकता है।

मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के तलबगारों के लिए एक-एक पल भारी हो रहा है और जिन्हें हटाए जाने की चर्चा है, उनकी सुबह-शाम भी सहज नहीं है। छह मार्च को जिस हिमाचल प्रदेश का वार्षिक बजट आ रहा होगा, उसी दिन राज्यसभा की एक सीट के लिए अधिसूचना भी जारी होगी। कांग्रेस नेता विप्लव ठाकुर का कार्यकाल खत्म होने को है। राज्यसभा सीट के इकलौते अनार के लिए भी कई तलबगार होंगे। नाम भी चल रहे हैं लेकिन चलते हुए नाम कब बैठ जाएं, यह आलाकमान से बेहतर कौन जानता है।

काजल ने दिखाई जिंदगी की सुबह

परंपरागत परिवार में पली-बढ़ी काजल फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में नर्स है। अस्पताल जाने के लिए जिस बस में बैठी, उसके चालक को सीने में दर्द हुई और वह अचेत हो गया। कर्तव्यनिष्ठा यही होती होगी कि अचेत होने से पहले चालक ने बस को एक तरफ खड़ा कर दिया। काजल ने न केवल चालक की छाती को जोर जोर से दबाया बल्कि उसे कृत्रिम श्वास भी दिया। सामान्यत: ऐसे मौके पर लोग या तो आगे नहीं आते या फिर कतिपय कारणों से झेंप जाते हैं। काजल ने ऐसी कोई झेंप नहीं की और चालक को प्रथम उपचार दे दिया। चालक की जान बच गई। अस्पताल प्रशासन ने उसे पांच हजार रुपये का इनाम और 10 प्रतिशत वेतन वृद्धि पुरस्कार स्वरूप दी। यह तो अच्छाई का सम्मान। इसके बरक्स, हिमाचल पथ परिवहन निगम ने इतने लोगों की जान बचाने वाले चालक को नजरअंदाज कर दिया। और पड़ताल की तो पता चला कि चालकों की नियमित स्वास्थ्य जांच नहीं होती, जबकि हृदयरोग संबंधी जांच की तो निगम के पास अवधारणा ही नहीं है। यह कौन बताएगा कि इस काम के लिए मंत्री की तरफ देखना ही उचित नहीं है। स्थानीय प्रबंधन के भी कुछ दायित्व हैं। आखिर, व्यावसायिक दक्षता और मानवताजन्य संवेदनशीलता भी कोई शय है।

बोर्ड परीक्षा, सबकी परीक्षा

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं चार मार्च से शुरू हो रही हैं। यही वह समय है कि जब शिक्षा विभाग की भूमिका के बाद शिक्षा बोर्ड की भूमिका आरंभ होती है। यह परीक्षा केवल बच्चों की नहीं, अभिभावकों की, परिवेश की और शिक्षकों की भी होती है। कई स्थानों पर एक और कई स्थानों पर दो-दो बार प्री बोर्ड के बाद अब बोर्ड परीक्षा का समय आया है। अध्यापक जानते हैं कि परिणाम खराब आया तो स्पष्टीकरण देना पड़ेगा। कई बार बात वेतनवृद्धि रुकने तक आ जाती है। सब सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं कि नकल नहीं होनी चाहिए। वास्तव में नहीं होनी चाहिए। लेकिन उन परीक्षा केंद्रों का क्या करेंगे जहां सीसीटीवी कैमरा हमेशा खराब रहता है? उस मानसिकता का क्या करें जहां नकल देना सहायता करने में शामिल होता है? उन क्षेत्रों का क्या करेंगे जहां अभिभावक केवल परीक्षा के समय चेतते हैं? कौन तय करेगा कि उडऩदस्ते धूप सेंकने के लिए होते हैं न भय उत्पन्न करने के लिए।

सहज जिज्ञासा यह भी रहती है कि बोर्ड के पास कितना बड़ा कंट्रोल रूम है जहां सभी केंद्रों पर नजर रखी जा सकती होगी? यह परीक्षाएं इसलिए सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं कि विद्यार्थी, स्कूल, अध्यापक और अभिभावक जुड़े हैं...इसलिए हैं क्योंकि पीढ़ी का भविष्य जुड़ा है। यही समय है जब मेहनत के रास्ते और चोर रास्ते में भेद बताना होगा। जीत के लिए तैयार करने वाले वही कामयाब होते हैं जो हार को स्वीकार करने का हौसला भी भरते हैं क्योंकि इम्तिहान कभी खत्म नहीं होते। राजेश रेड्डी ने यूं ही नहीं कहा है :

इम्तिहां से गुजर के क्या देखा

इक नया इम्तिहान बाकी है


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