Article 370: कश्मीरी पंडितों की जुबानी, हर दिन होती थी जिंदगी-मौत में जंग Kangra News
हिमाचल आकर बसे कश्मीरी पंडितों के लिए उस समय एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में भयमुक्त जीवनयापन किया हो।
धर्मशाला, राजेंद्र डोगरा। पिछली सदी के अंतिम दशक में पुश्तैनी आशियाने छोड़कर हिमाचल आकर बसे कश्मीरी पंडितों के लिए उस समय एक भी दिन ऐसा नहीं गया, जब जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में भयमुक्त जीवनयापन किया हो। हर दिन पत्थरबाजों से बचना पड़ता था। हर रोज जिंदगी और मौत में जंग होती थी। कई लोगों का भाग्य साथ दे जाता था, लेकिन रोज नहीं। पत्थरों से स्थानीय लोगों का चोटिल होना आम बात थी और कई दफा लोगों की मौत भी हो जाती थी। इस कारण ही पैतृक स्थल छोडऩे के लिए मजबूर होना पड़ा। यह कहना है राजकीय उच्च पाठशाला कोतवाली बाजार की मुख्य अध्यापिका राका कौल का।
बकौल राका कौल, जब वह 17 वर्ष की थी तो अनंतनाग छोड़ हिमाचल आ गई थी। पिता बंसी कौल को लगता था कि अनंतनाग में परिवार सुरक्षित नहीं था। उस समय का दौर पत्थरबाजी का था और महिलाओं से अभद्र व्यवहार किया जाना आम बात थी। मुख्य अध्यापिका बताती हैं कि 1989 में ही उनकी एक सहेली की अस्मत लूटी थी और उसके टुकड़े कर दिए गए थे। हालांकि वह 1982 में हिमाचल आने के बाद कई बार परीक्षाएं देने जम्मू-कश्मीर गई और बुजुर्गों से भी कई दफा उन परिस्थितियों को सुना है। जब बुजुर्गों की जुबानी उनकी कहानी सुनी तो आंखों में आंसू ही नसीब हो पाए थे।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना सराहनीय है। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से जेएंडके में शांति स्थापित होगी। कश्मीरी पंडित भी चाहते हैं कि उनका जेएंडके में पुनर्वास हो। -राका कौल।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप