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खुशबू व सौंधे स्वाद के लिए मशहूर कांगड़ा चाय अब होगी दानेदार

अपनी खुशबू और सौंधेेे स्वाद के लिए मशहूर कांगड़ा चाय अब सीटीसी (दानेदार) रूप में मिलेगी। यह संभव होगा भारतीय चाय बोर्ड की बदौलत। चाय बोर्ड स्वयं सहायता समूहों के सहयोग सेे चाय उद्योग स्थापित करेगा। चाय बोर्ड ने 28 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया है ।

By Virender KumarEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 09:18 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 09:18 PM (IST)
खुशबू व सौंधे स्वाद के लिए मशहूर कांगड़ा चाय अब होगी दानेदार
कांगड़ा चाय अब दानेदार रूप में उपलब्‍ध होगी। जागरण आर्काइव

पालमपुर, संवाद सहयोगी। अपनी खुशबू और सौंधेेे स्वाद के लिए मशहूर कांगड़ा चाय अब सीटीसी (दानेदार) रूप में मिलेगी। यह संभव होगा भारतीय चाय बोर्ड की बदौलत। चाय बोर्ड स्वयं सहायता समूहों के सहयोग सेे चाय उद्योग स्थापित करेगा। चाय बोर्ड ने 28 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया है और इनमें से 14 को लघु चाय उद्योग लगाने के लिए लाइसेंस प्रदान किया है। अभी तक कांगड़ा चाय दानेदार रूप में नहीं थी। भारतीय चाय बोर्ड स्वयं सहायता समूहों को दानेदार चाय बनाने का प्रशिक्षण देगा। साथ ही मशीनों के रखरखाव व संचालन से संबंधित जानकारी भी दी जाएगी।

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40 चाय उत्पादकों को दिया प्रशिक्षण

भारतीय चाय बोर्ड के पालमपुर कार्यालय में चाय उत्पादकों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान 40 चाय उत्पादकों को दानेदार चाय बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। टी बोर्ड के निदेशक अनुपम दास के नेतृत्व में उद्योग सलाहकार अभिमन्यु शर्मा, विकास अधिकारी सुमित ठाकुर, कृषि विवि पालमपुर के चाय विभाग के प्रो. जयदेव शर्मा व विकास अधिकारी सुनील पटियाल ने जानकारी दी।

कांगड़ा में होता है आर्थोडाक्स चाय का उत्पादन

कांगड़ा चाय से आर्थोडाक्स ब्लैक व आर्थोडॉक्स ग्रीन टी तैयार की जाती है। अब मशीनों का उपयोग चाय उत्पादन के लिए होने लगा है और इस कारण विदेशों में भी कांगड़ा चाय की काफी मांग है।

क्या है सीटीसी चाय

चाय कई प्रकार की विधियों से बनाई जाती है। अलग-अलग स्वाद और महक वाली चाय बनाने के लिए विशेष विधि का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं में से सीटीसी (कट, टीयर एंड कलर) दानेदार चाय का उत्पादन होता है। इस प्रक्रिया में बागानों से तोड़कर छोटी और कड़क पत्तियों को फैक्टरी में बेलनाकार रोलर्स से गुजारा जाता है। रोलर्स में पत्तियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है। इसके बाद चाय बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

भारतीय चाय बोर्ड के सौजन्य से सोमवार को बीड़ के समीप चौगान में दुर्गेश चाय स्वयं सहायता समूह का पहला सीटीसी चाय उद्योग स्थापित किया जाएगा। मशीनरी के लिए टी बोर्ड ने आर्थिक सहायता प्रदान की है। 14 स्वयं सहायता समूहों को चाय उद्योग स्थापित करने के लिए लाइसेंस प्रदान किए हैं। उद्योग स्थापित करने के लिए आर्थिक सहायता का भी प्रविधान किया है।

-अनुपम दास, निदेशक चाय बोर्ड पालमपुर


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