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Jubbal Kotkhai By Election: पार्टी नहीं क्षेत्रीय आधार पर बंटा है जुब्बल-कोटखाई हलका, पढ़ें रोचक मामला

Jubbal Kotkhai By Election शिमला से कोटखाई की और आते ही जैसे ही गुम्मा पहुंचते हैं तो पोस्टर और बैनर से सटी दीवारें और दुकानें दिखाई देनी शुरू होती हैं। इससे सहज ही अंदाजा लग जाता है कि आप जुब्बल कोटखाई चुनावी हलके में पहुंच चुके हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 09:01 AM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 02:02 PM (IST)
Jubbal Kotkhai By Election: पार्टी नहीं क्षेत्रीय आधार पर बंटा है जुब्बल-कोटखाई हलका, पढ़ें रोचक मामला
जुब्बल कोटखाई एक ऐसा चुनावी क्षेत्र है, जो राजनेताओं की बजाय क्षेत्रीय आधार पर साफ तौर पर बंटा है।

कोटखाई, जागरण संवाददाता। Jubbal Kotkhai By Election, शिमला से कोटखाई की और आते ही जैसे ही गुम्मा पहुंचते हैं तो पोस्टर और बैनर से सटी दीवारें और दुकानें दिखाई देनी शुरू होती हैं। इससे सहज ही अंदाजा लग जाता है कि आप जुब्बल कोटखाई चुनावी हलके में पहुंच चुके हैं। पोस्टर बैनर की जंग में कौन आगे हैं, इससे चुनावी समर में तीनों ही राजनेताओं की सक्रियता का अंदाजा साफ दिख जाता है। जुब्बल कोटखाई एक ऐसा चुनावी क्षेत्र है, जो राजनेताओं की बजाय क्षेत्रीय आधार पर साफ तौर पर बंटा है। शिमला से आते हुए सबसे पहले आप कोटखाई पहुंचेंगे, जहां पूरा का पूरा क्षेत्र सेब से पटा दिखता है। यहां पर इक्का-दुक्का स्थानों पर कांग्रेस और भाजपा के झंडे भी दिखते हैं। हालांकि कांग्रेस के झंडे की संख्या यहां पर भाजपा के झंडों के साथ फिर भी ज्यादा है।

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1:30 बजे के बाद जैसे ही आप आगे बढ़ते हो कोटखाई का इलाका खत्म होता है। जुब्बल पहुंचते हो तो आप को साफ दिखता है कि अब कांग्रेस बहुल क्षेत्र में पहुंच गए हो। यहां पर हर दुकान से लेकर हर दीवार कांग्रेस के झंडे से लेकर बैनर लगे हैं। हालांकि कुछ दुकानों पर भाजपा और निर्दलीय के पोस्टर भी लगे हैं लेकिन इनकी संख्या न के बराबर है। इसके बाद जैसे ही आप नावर टिक्कर क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो यहां पर भी क्षेत्र के आधार पर वोटर बंटा दिखता है। टिक्कर रोहडू से कटकर आया है तो मूल रूप से अधिकतर कांग्रेसी बाहुल क्षेत्र ही माना जाता है लेकिन भाजपा और आजाद प्रत्याशी लगातार यहां पिछले समय से पसीना बहा रहे थे तो कुछ पोस्टर बैनर दिख तो रहे थे, लेकिन यह कितना वोट में तब्दील होते हैं यह कहना आसान नहीं होगा क्योंकि यहां पर झंडा या बैनर भले ही लोगों के घरों पर लगा है पर लोग खुलकर बोलने के लिए कुछ भी तैयार नहीं हैं।

इसी तरह से जहां भाजपा की रैली रोहडू के नजदीक अंटी क्षेत्र में कराई गई थी, वहां पर भाजपा के झंडे और डंडे तो काफी दिखाई दिए। भाजपा इसे वोट में कितना तब्दील कर पाती है इस पर सभी कुछ संशय है। हालांकि भाजपा के हाईकमान का फैसला होने के कारण पूरा संगठन और संगठन के आला नेताओं का पूरा अमला हर घर में पहुंच रहा है। हाईकमान का फैसला बताकर इसे अपने पक्ष में करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। इसमें उन्हें कितनी सफलता मिलती है, यह तो दो नवंबर को ही तय होगा लेकिन पार्टी के हिमाचल प्रभारी सह प्रभारी राज्य अध्यक्ष, मुख्यमंत्री तक सभी ने यहां पर पहुंचकर पार्टी प्रत्याशी का चुनाव बेहतर बनाने का भरसक प्रयास किया है। अब इसे वोट बैंक में तब्दील करने के लिए आम कार्यकर्ता को फील्ड में छोड़कर प्रचार खत्म होने के बाद सभी नेता अपने-अपने स्थानों को लौट गए हैं।


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