18 महीने बाद भी नहीं खुले शक्तिपीठ ज्वालामुखी के शैय्या भवन के कपाट, जानिए क्या है मान्यता
Jawalamukhi Mata Temple शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी के साथ देश भर के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र शैय्या भवन के कपाट 18 महीने बाद भी श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए नहीं खुल पाए हैं। माता की शैय्या आरती देखने आने वाले भक्तों में रोष पनपता जा रहा है।
ज्वालामुखी, प्रवीन कुमार शर्मा। Jawalamukhi Mata Temple, शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी के साथ देश भर के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र शैय्या भवन के कपाट 18 महीने बाद भी श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए नहीं खुल पाए हैं। कारनवश वर्षों से लगातार माता की शैय्या आरती को देखने के लिए यहां आने वाले भक्तों तथा पुजारी वर्ग सहित सथानीय लोगों में रोष पनपता जा रहा है। लोगों का तर्क है कि जब कोविड नियमों के तहत मंदिर का गर्भ गृह कई महीनों से श्रद्धालुओं के लिए खुला है। ऐसे में शैय्या भवन के कपाट बंद रखकर प्रशासन किस मंशा के साथ इसे बंद रखकर हजारों श्रद्धालुओं को माता की शैय्या आरती से वंचित रख रहा है और तो और भवन में हवन यज्ञ को बंद करके श्रद्धालुओं की आस्था से जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है।
पूरा देश अब पहले की तरह खुला हुआ है। धार्मिक तथा सांस्कृतिक आयोजन हो रहे हैं, लेकिन केवल शैय्या भवन तथा हवन यज्ञ पर रोक लगाकर सैकड़ों हजारों मीलों से माता के दर्शनों को आने वाले लोगों को बुरे मन से वापस किया जा रहा है। यहां बता दें कि 17 मार्च 2020 को विश्वभर में कोरोना के कहर के बीच शक्तिपीठ ज्वालामुखी के कपाट भी बंद हुए थे। हालांकि 10 सितंबर 2020 को प्रदेश सरकार ने मंदिरों को एसओपी के तहत खोलने की मंजूरी दी थी, लेकिन बावजूद इसके माता के शैय्या भवन के कपाट नहीं खुलने दिए गए। प्रशासन ने मंदिर के गर्भ गृह के भीतर जाने पर भी कई महीनों तक पाबंदी लगा दी थी, जिसे बाद में हटाया गया। लेकिन शैय्या भवन के कपाट श्रद्धालुओं के लिए अभी तक नहीं खुल पाए हैं।
क्या है शैय्या भवन का इतिहास
शक्तीपीठ ज्वालामुखी के शैय्या भवन में सैकड़ों सालों से रात को माता ज्वालामुखी जी के शयन कक्ष को पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ करके सजाया संवारा जाता है। इस दौरान शैय्या आरती का आयोजन होता है। जिसमें भाग लेने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते हैं तथा माता के शयन कक्ष में शीश नवाते हैं। मान्यता है कि इस कक्ष में मां प्रतिदिन रात को सोने आती हैं। पुजारी वर्ग मानता है कि सुबह शयन कक्ष में माता के बिस्तर पर सिलवटें साफ देखी जा सकती हैं। माता के पुजारी यहां पीढ़ी दर पीढ़ी शयन कक्ष की पूजा का दारोमदार संभाले हुए हैं।
कब होती है शयन आरती तथा कक्ष का सिंगार
देश भर में प्रसिद्ध ज्वालामुखी माता की शयन आरती गर्मियों में रात 9 से 9:30 तथा सर्दियों में 8:30 से 9 बजे तक होती हैं। मां के पुजारी माता के शयन कक्ष का हर रात को हार सिंगार करते हैं। विधिवत पूजा अर्चना तथा नियमित आरती के बाद मां को सुलाया जाता है। इस सारे दृश्य को देखने के लिए श्रद्धालु विशेष रूप से श्रृंगार आरती में भाग लेने के लिए मंदिर पहुंचते हैं। यह सदियों पुरानी प्रथा है, जिसे 170 के करीब पुजारी परिबार पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रहे हैं।
क्या कहते हैं पुजारी
मंदिर के पुजारी एवं न्यास सदस्य सौरभ शर्मा का कहना है कि मंदिर श्रद्धालुओं के लिए लंबे समय से नियमित खुला हुआ है। माता के शयन कक्ष के कपाट किस मकसद से बंद रखे गए हैं, यह समझ से परे है। माता की शयन आरती के लिए देश के कई राज्यों के श्रद्धालु विशेष तौर पर आते हैं। लेकिन उनको कपाट बंद होने की वजह से आरती में भाग नहीं लेने दिया जा रहा है। दुःखद है कि माल, सिनेमा, होटल, रेल, बस, नेताओं की लाखों की सभाएं सब जारी हैं। मंदिर में हवन यज्ञ बन्द हैं, क्या यह इसलिए है कि हवन से वातावरण शुद्ध होता है तथा नकारात्मकता खत्म होती है।
क्या कहता है न्यास
मंदिर न्यास के सदस्य प्रशांत शर्मा, जितेंद्र पाल दत्ता, देश राज भारती, त्रिलोक चौधरी, शशि चौधरी ने बताया कि शैय्या भवन समेत हवन यज्ञ पर अब पाबंदी का कोई मतलब नहीं रह गया है। हमने प्रशासन से इस वाबत चर्चा की है, लेकिन प्रशासन सरकार की एसओपी की दुहाई देकर मामला टाल रहा है। हमारी उपायुक्त कांगड़ा से अपील है कि इस बारे में सरकार को अवगत करवाएं तथा शैय्या भवन सहित हवन यज्ञ पर लगाई रोक हटाएं।
सरकार की अनुमति का इंतजार
एसडीएम ज्वालामुखी धनवीर ठाकुर ने कहा कि यह मामला हमारे ध्यान में है। हमने श्रद्धालुओं व पुजारियों की भावना सरकार तक पहुंचाने के लिए पत्राचार किया है। सरकार अनुमति दे तभी शैय्या भवन खोला जा सकता है। हवन यज्ञ के लिए भी सरकार एसओपी में बदलाव करे तभी संभव है।