जाइका की फली ने बढ़ाई किसानों की आर्थिकी
संवाद सहयोगी पालमपुर हिमाचल फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना (जाइका) के अंतर्गत संचालित फल
संवाद सहयोगी, पालमपुर : हिमाचल फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना (जाइका) के अंतर्गत संचालित फली उप परियोजना ने सुनेहड़ पंचायत के बडई गांव के किसानों की काया पलट दी है। परियोजना के तहत गांव में बहाव सिचाई योजना फली का पानी जोगल खड्ड से उठाया गया तथा गांव के 20 हेक्टेयर क्षेत्र को सिचाई सुविधा प्रदान कर 83 परिवारों को जोड़ा गया है।
हालांकि परियोजना बनने से पहले गांव के अधिकतर किसान पारंपरिक खेती करते थे। रबी मौसम की मुख्य फसल में गेहूं तथा खरीफ सीजन में धान व मक्का किसानों की मुख्य फसलें थीं। सिचाई सुविधा के अभाव में सब्जियों के अंतर्गत केवल 0.65 हेक्टेयर खरीफ, 0.9 हेक्टेयर रबी सीजन में आता था।
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क्या कहते हैं किसान
किसान रमल कुमार, विपिन कुमार, स्वरूप चंद, अजय कुमार, रमेल कुमार, सुरेश चंद, जोगिंद्र सिंह बताते हैं कि परियोजना के आने के बाद गांव में वर्ष भर सिचाई सुविधा प्रदान है, और इससे फसल का पैटर्न भी बदला है। अब यह क्षेत्र सब्जियों के अंतर्गत 9.98 हेक्टेयर खरीफ व 14.45 हेक्टेयर रबी में तबदील हो गया है। गांव में सब्जियों की पनीरी व अगेती सब्जियों के उत्पादन के लिए 105 वर्गमीटर का पॉलीहाउस भी लगवाया गया है। वहीं किसानों को वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए तीन वर्मी कंपोस्ट पिट भी बनवाए गए हैं। जायका के कृषि प्रसार अधिकारियों ने उप परियोजना के सभी किसानों को संगठित कर गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कृषि विकास संघ (केवीए) का गठन कर सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत भी करवाया है।
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फली कूहल में आज तक 90 अनुपात 10 के अंतर्गत तीन लाख 80 हजार रुपये की लागत से तीन पावर वीडर प्रदान किए हैं, जबकि 80 अनुपात 20 कास्ट शेयरिग बेसिस में तीन लाख 90 हजार रुपये के तीन पावर वीडर एवं एक ब्रश कटर दिया गया हैं। इस मशीनरी का उपयोग किसान अपने खेतों में करने के साथ अन्य लोगों से घंटे के हिसाब से मशीनरी का किराया ले रहे है। इस किराये की राशि का इस्तेमाल मशीनरी के रखरखाव में किया जाता है। फली कूहल में इस समय तीन स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं। इनकी सदस्य सोनिका देवी, संजू बाला, सुनीता देवी, रक्षा देवी, सुनीता देवी व जगतंबा देवी हैं।
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परियोजना के आने से सब्जियों की उत्पादन और उत्पादकता व प्रति इकाई क्षेत्र की आय में वृद्धि हुई है। परियोजना से पहले गांव की उत्पादकता 91 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी जो अब बढ़कर 168.75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है। प्रति हेक्टेयर सकल वार्षिक आय भी 51,415.69 रुपये की जगह 403313 रुपये तक पहुंच गई है। इस परियोजना के निर्माण में 50,46,472 खर्च हुए हैं।
-डा. राजेश सूद, जिला जाइका परियोजना प्रबंधक