गगरेट, अविनाश विद्रोही।
Ispur Cooperative Sabha Scam, ईसपुर सहकारी सभा में विजिलेंस विभाग ने करीब छह करोड़ 63 लाख के गबन मामले को सुलझाने का दावा किया है। विजिलेंस की जांच में पाया गया है कि सभा सचिव शाम कुमार ने अपने ही परिवार में तीन करोड़ से अधिक राशि के ऋण बांट डाले।
सचिव ने अपने चचेरे भाई अमन पाठक के नाम पर दो ऋण 70 लाख और 25 लाख लिए जिसमें 40 लाख के करीब ऋण वापस भी जमा किया है। सचिव ने अपनी पत्नी के नाम 60 लाख, पिता के नाम दो ऋण 80 लाख और 35 लाख और सचिव ने खुद के नाम 75 लाख और 15 लाख के दो ऋण लिए हैं। इतना ही नहीं, सचिव ने ऐसे लोगों को भी ऋण बांट दिए जिन्हें पता भी नहीं था कि उनके नाम ऋण सभा मेें है। इनमें से जोङ्क्षगद्र ङ्क्षसह जो कि लंदन में रहता है, उसके नाम भी 60 लाख रुपये का ऋण है और उसे इस बात का उस समय पता चला जब विजिलेंस की जांच में उसका नाम आया।
ऐसा ही ऋण सतीश पाठक के नाम 60 लाख और 35 लाख, मोनिका के नाम 80 लाख और ऐसे ही एक ऋण जो पहले चार लाख 15 हजार का था और उसके आगे आठ लगाकर 84 लाख पंद्रह हजार का बनाया गया था। विजिलेंस ने सचिव के पिता को रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ करने पर गिरफ्तार किया है। विजिलेंस ने रिकार्ड की फोरेंसिक जांच करवाई और उसी आधार पर गिरफ्तार किया है। बेनामी ऋण में जिनके नाम आए हैं,ै उनकी लिखावाट की भी फोरेंसिक जांच की जा चुकी है जिसमें इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रोनोट पर उनकी लिखावट नहीं है। अब विजिलेंस ने प्रोनोट पर ऋण के लिए हस्ताक्षर करने वाले की जांच के लिए लिखवाट के नमूने फोरेंसिक लैब में भेजे हैं जिससे खुलासा होगा कि प्रोनोट भरने वाले और उस पर ऋणकर्ता के हस्ताक्षर करने वाला एक ही शख्स है या फिर कोई अन्य भी इस षड्यंत्र ने शामिल है।
सचिव का पिता पुलिस रिमांड पर
ईसपुर सहकारी सभा गबन मामले में शनिवार को विजिलेंस की टीम ने सभा सचिव के पिता तिलक राज को गिरफ्तार किया था। तिलक राज ने सभा के ऋण प्रोनोट में एक ऋण जो कि 4,15000 का था उसके आगे आठ अंक लिखकर प्रोनोट से छेड़छाड़ की थी। विजिलेंस ने इसका खुलासा फोरेंसिक जांच द्वारा किया। विजिलेंस ने तिलक कुमार को गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया। अदालत ने तिलक राज को दो दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
अभी ईसपुर सभा के गबन मामले की जांच चल रही है। इस मामले में विजिलेंस ने लगभग छह करोड़ 63 लाख के गबन की राशि के हिसाब को जांच लिया है और जांच अब अंतिम पड़ाव में है।
-मनोज कुमार, जांच अधिकारी एसवी एंड एसीबी एसआइयू शिमला।
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