पूर्व सरकार के कार्यकाल में कई बस अड्डों के निर्माण में बरती गई अनियमितताएं, फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने की जांच
Irregularities Bus Stands Construction हिमाचल प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस अड्डों के निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। मौजूदा भाजपा सरकार की ओर से गठित फेक्ट फाइंडिग कमेटी की जांच में यह बात साबित हुई।
धर्मशाला/शिमला, जेएनएन। Irregularities Bus Stands Construction, हिमाचल प्रदेश में पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बस अड्डों के निर्माण में अनियमितताएं बरती गईं। मौजूदा भाजपा सरकार की ओर से गठित फेक्ट फाइंडिग कमेटी की जांच में यह बात साबित हुई। इसमें कहा गया कि बस अड्डों से सरकार को करीब डेढ़ सौ करोड़ का चूना लगा था। पहले जांंच रिपोर्ट पर कड़ी कार्रवाई करने के दावे किए गए। कहा गया कि इसकी अब विजिलेंस से जांच होगी, लेकिन तीन वर्ष में न तो विजिलेंस जांच हुई और न जिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई।
क्या हैं अनियमितताएं
चिंतपूर्णी में कार पार्किंग, कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने के लिए बस अड्डा प्रबंधन विकास प्राधिकरण ने टेंडर आमंत्रित किए थे। बस अड्डा बनाने का कोई प्रावधान नहीं था। ठेकेदार ने बिना अनुमति के बस अड्डे का भी निर्माण किया। टेंडर एग्रीमेंट से ही प्रस्तावित जगह पर आने वाली एचआरटीसी, निजी बसों, अन्य वाहनों से भी पार्किंग शुल्क लिया गया। इससे एग्रीमेंट का उल्लंघन हुआ। इससे ठेकेदार को करोड़ों का लाभ पहुंचा। जांच रिपोर्ट के मुताबिक निर्माण की गुणवत्ता जांचने के लिए स्वतंत्र इंजीनियर भी नियुक्त नहीं हुआ।
धर्मशाला का कैसे किया एग्रीमेंट
जिस जगह बस अड्डा बनना था, वहां की जमीन वन विभाग के नाम थी। लेकिन बस अड्डा प्रबंधन विकास प्राधिकरण ने इसका भी फर्म के साथ नियमों के विपरीत एग्रीमेंट किया। जांच कमेटी ने इस एग्रीमेंट पर भी सवाल उठाए हैं। ऊना में निर्माण कार्य में डेविएशन की गई। कुल्लू में भी ऐसा ही हुआ। मनाली में जमीनी विवाद के कारण बस अड्डे का निर्माण नहीं हुआ।
किसने की जांच
बस अड्डों के निर्माण में अनियमितताएं बरतने के आरोपों की जांच के लिए तत्कालीन मुख्य महाप्रबंधक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। इसमें निर्माण कार्यों में कायदे-कानूनों की अनदेखी करने के तथ्य सामने आए। जांच की आंच निगम के पूर्व अफसरों तक आई। भाजपा ने अपनी चार्जशीट में भी कई गंभीर आरोप लगाए थे।
दैनिक जागरण से प्रमुखता से उठाया था मामला
बस अड्डों के निर्माण में अनियतिताएं बरतने का मामला 'दैनिक जागरण' ने प्रमुखता से उठाया था।
सुप्रीमकोर्ट ने एनजीटी का फैसला रखा बरकरार
मैक्लोडगंज बस अड्डे से संबंधित विवादित होटल एवं रेस्टोरेंट ढांचा गिराना होगा। सुप्रीमकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बैंच ने मंगलवार को सिविल अपील पर फैसला सुनाया। यह अपील हिमाचल प्रदेश बस स्टेंड मैनेजमेंट एंड डेवलपमेंट अथोरिटी ने की थी। इसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों को चुनौती दी गई थी। अब कोर्ट ने एनजीटी के फैसले को बरकरार रखा गया। एनजीटी ने 16 मई 2016 को फैसला दिया था। तब विवादित स्ट्रक्चर तोडऩे, जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ सर्विसेज रूल्स के तहत विभागीय कारवाई करने के आदेश दिए गए थ। कोर्ट ने अब ढांचा गिराने के बाद कार पार्किंग, बस अड्डा चलाने की अनुमति दे दी है। चीफ कन्जरवेटर ऑफ फॉरेस्ट (सीसीएफ) को जिला प्रशासन के साथ मिलकर जजमेंट आने के दो सप्ताह के भीतर इस ढांचे को गिराना होगा। यह कारवाई एक महीने के अंदर पूरी करनी होगी। इसका पूरा खर्चा इसका निर्माण करने वाली कंपनी से वसूलना होगा।