पालमपुर में मंत्री की दो टूक, दफ्तर छोड़ फील्ड में योजना चालू करें अफसर
बागवानी एवं आइपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ने पालमपुर में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अफसरों को कड़े निर्देश दिए।
जेएनएन, पालमपुर। अधिकारी दफ्तरों को छोड़कर फील्ड में जाकर दुर्गम और पिछड़े क्षेत्रों में ब्रिक्स योजना को चालू करें। यह बात आइपीएच व बागबानी मंत्री महेंद्र सिंह ने धर्मशाला जोन की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा के दौरान कही। उन्होंने कहा कि वह स्वयं भी ऐसे क्षेत्र का दौरा करेंगे। पेयजल के सुधार के लिए ब्रिक्स के तहत प्रदेश में 3300 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। ब्रिक्स योजना में जिला चंबा में 121 करोड़ तथा जिला कांगड़ा में 702 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने ब्रिक्स की सभी डीपीआर 31 अक्टूबर तक तैयार करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए प्रदेश में सबसे बड़ी योजना केंद्र से मंजूर करवाई गई है और इस योजना में 4751 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान किया गया है। प्रथम चरण में इस योजना में 708 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को कांगड़ा और चंबा जिलों में बड़ी पेयजल और सिंचाई योजनाओं की संभावनाएं तलाश कर कार्य करने के आदेश दिए। 2000 और उससे पहले बनी पेयजल योजनाओं के संवर्धन के लिए 798 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई है। बैठक में कांगड़ा और चंबा जिला के आइपीएच विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
बाढ़ नियंत्रण के लिए खर्च होंगे 4800 करोड़
प्रदेश में बाढ़ नियंत्रण के लिए लगभग 4800 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की गई है। उन्होंने अधिकारियों को ऐसे नुकसान पहुंचाने वाली खड्डों और क्षेत्रों की पहचान कर डीपीआर तैयार करने के आदेश दिए। साथ ही कुछ नया करने के लिए उन्हें लिखित सुझाव देने की अपील भी की।
मशरूम की खेती के लिए कांगड़ा में बनेगा बड़ा यूनिट
मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने जिला कांगड़ा में बागवानी विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा भी की। बागवानी की दृष्टि से पांच हजार फुट की ऊंचाई से नीचे वाले क्षेत्रों में बागवानी को प्रोत्साहित करने के लिए 1688 करोड़ की परियोजना क्रियान्वित की जा रही है। इसमें बागवानी विभाग के अधिकारियों को कलस्टर बनाने के लिए कहा गया है। इसके अतिरिक्त सभी अधिकारियों को दो-दो गांवों को गोद लेकर कार्य करने को कहा गया है। मशरूम की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 423 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है और जिला कांगड़ा में एक बड़ी मशरूम यूनिट भी स्थापित की जाएगी।