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नमी के लिए सूखे घास की 15 सेटीमीटर मोटी परत बिछाएं

संवाद सहयोगी धर्मशाला बागवानी विभाग कांगड़ा जिले में सूखे से निपटने के लिए किसानों व बागवान

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 03:52 AM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 03:52 AM (IST)
नमी के लिए सूखे घास की 15 सेटीमीटर मोटी परत बिछाएं

संवाद सहयोगी, धर्मशाला : बागवानी विभाग कांगड़ा जिले में सूखे से निपटने के लिए किसानों व बागवानों को जागरूक कर रहा है। विभाग जिले के विभिन्न विकास खंडों में पंचायत स्तर करीब 150 शिविर लगाएगा। बागवानी विभाग जिला कांगड़ा के उपनिदेशक डा. कमलशील नेगी ने कहा कि इन शिविरों में सूखे से निपटने के लिए विभिन्न उपाय, तकनीक व सरकार की ओर से जल प्रबंधन के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी जा रही है।

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बागवान पौधों के तोलियां (बेसिन) में नमी बनाए रखने के लिए सूखे घास या भूसे की 15 सेटीमीटर मोटी परत या प्लास्टिक मल्च बिछाएं। यह भूमि से नमी के वाष्पीकरण को रोकेगी तथा भूमि में खरपतवार को नहीं उगने देगी। उन्होंने बताया कि फलदार पौधों की जड़े अनाज वाली फसलों व सब्जियों की अपेक्षा गहरी होती हैं इसलिए कुछ हद तक सूखे की स्थिति को झेल सकती हैं, लेकिन जिले में पिछले लगभग तीन-चार महीनों से पर्याप्त वर्षा न होने पर सूखे जैसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं, जिसका विपरीत प्रभाव फल व पौधों पर भी पड़ रहा है।

उन्होंने बताया कि आजकल जिले में आम, लीची व नींबू इत्यादि फल-पौधों में फलन हो रहा है इसलिए मिट्टी में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है, ताकि बागवान गुणवत्ता युक्त अच्छी उपज ले सकें। सूक्ष्म सिचाई (टपक/फब्बारा) पानी तथा खाद पौधे की जड़ तक पहुंचाने का उत्तम तरीका है। जिला में जिन किसानों के पास पानी का उचित सोर्स उपलब्ध है, वह बगीचे में टपक/फब्बारा सूक्ष्म सिचाई प्रणाली स्थापित करने के लिए 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं। टपक सिचाई से जहां पानी की 50-60 प्रतिशत बचत होती है, वहीं पानी सीधा पौधों की जड़ को प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि किसानों व बागवानों की सुविधा के लिए प्लास्टिक जल भंडारण टैंक 300 लीटर व पाइप अनुदान राशि पर विभाग के विकास खंड स्तर पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसके लिए विभाग के नजदीकी कार्यालयों से जानकारी ली जा सकती है।


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