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कुष्ठ रोगियों पर भारी अपनों की अनदेखी, ठीक होने के बाद भी अपनों ने नहीं जाना हाल

उन्हेंं कुष्ठ रोग हुआ था। कुछ के हाथ हल्के विकृत हुए तो कुछ के पांव। पर ठीक हो गए सब। रोगियों के शरीर से तो रोग मिट गया लेकिन उनके स्वजन के मन पर बैठ गया। लोगों को स्वजन लेने नहीं आए क्योंकि डर था संक्रमण न हो जाए।

By Vijay BhushanEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 11:55 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 11:55 PM (IST)
चंबाघाट स्थित कुष्ठ रोग केंद्र में रह लोग, स्वस्थ होने के बाद जिन्हें अब स्वजन नहीं अपना रहे। जागरण

सोलन, भूपेंद्र ठाकुर। उन्हेंं कुष्ठ रोग हुआ था। कुछ के हाथ हल्के विकृत हुए तो कुछ के पांव। पर ठीक हो गए सब। रोगियों के शरीर से तो रोग मिट गया लेकिन उनके स्वजन के मन पर बैठ गया। कैसे? ऐसे, कि ठीक हो चुके लोगों को स्वजन लेने नहीं आए क्योंकि डर था, संक्रमण न हो जाए। सीधे शब्दों में कहें तो ठीक हो चुके लोगों को अछूत समझा गया। जिनका घर छूटा और अस्पताल ही घर बन गया, उनकी कहानी है यह। कुष्ठ रोग से आई विकृति स्वजन की सोच पर हावी हो गई।

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घर से बेघर ये लोग मिलते हैं सोलन शहर के चंबाघाट स्थित क्षेत्रीय कुष्ठ रोग अस्पताल में। ये शब्द दिल को बींध जाते हैं, 'बीमारी ने तो साथ छोड़ा पर अपनों ने भी हाथ जोड़ दिया।Ó यह उस प्रदेश की बात है जिसे अपनी साक्षरता और शिक्षा पर नाज है। अस्पताल में 21 कुष्ठ रोगी हैं। इनमें 11 लोग ऐसे हैं, जो बिल्कुल स्वस्थ हैं। इनमें नौ हिमाचल के ही हैं। इनमें कुष्ठ रोग का कोई लक्षण नहीं। उन्हेंं अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं पर जब ये लोग स्वस्थ होने के बाद घर गए तो इनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार होने लगा। पड़ोसी व स्वजन भी दूर भागने लगे। जब सभी ने ठुकरा दिया तो इनके लिए कुष्ठ रोग अस्पताल ही सहारा रह गया था। अपनों की तलाश में जहां ये लोग गए थे, वहां से अब लौट आए हैं।

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20 साल से अस्पताल को ही बनाया अपना घर

स्वस्थ हो चुके नौ लोग 20 साल से अस्पताल में रह रहे हैं। इनमें दो महिलाएं व सात पुरुष हैं। एक किन्नौर, दो मंडी, तीन शिमला व तीन लोग सिरमौर जिले के रहने वाले हैं। रहने व खाने-पीने से लेकर सभी प्रकार का खर्च प्रदेश सरकार देती है। इन्हेंं 1500 रुपये वृद्धावस्था पेंशन भी दी जाती है।

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अंतिम यात्रा भी अस्पताल स्टाफ के हवाले

मानवीय संवेदनाएं ऐसे लोगों की मौत पर भी मर रही हैं क्योंकि शव लेने के लिए भी स्वजन नहीं आते। चार साल में यहां कुष्ठ रोग से जिंदगी हार गए सात लोगों का अंतिम संस्कार अपनों के न आने पर ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, चिकित्सकों ने किया।

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अस्पताल में 11 ऐसे लोग हैं, जो कुष्ठ रोग से छुटकारा पा चुके हैं। इनमें नौ हिमाचल, एक हरियाणा व एक नेपाल का है। परिवार इन्हेंं अपना नहीं रहे हैं। इसलिए अस्पताल में ही रहते हैं। अंत समय तक सरकार इनका खर्च वहन करेगी।

-डा. उदित, क्षेत्रीय कुष्ठ रोग अधिकारी, सोलन

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विशेषज्ञों का मानना है कि कुष्ठ रोग आमतौर पर छूने से नहीं होता लेकिन सांसों से एक दूसरे तक जा सकता है। स्वस्थ हो चुके लोग घर पर रह सकते हैं। चिकित्सकीय परामर्श से उचित दूरी की आवश्यकता होती है, न कि सामाजिक दूरी की। हिमाचल प्रदेश में हिम सुरक्षा अभियान के तहत रोगियों की जांच जारी है। हिमाचल में इस समय 80 से 82 रोगी हैं जिनमें से आधे 2020 में ही सामने आए हैं।


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