शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष की दो टूक: उडऩदस्ते से परीक्षा केंद्र में न बने भय का माहौल, दिया यह खास निर्देश
परीक्षाओं के सफल संचालन व उत्तर पुस्तिकाओं का समय पर मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड ने पहली बार समन्वयकों के साथ बैठक का आयोजन किया।
धर्मशाला, जागरण संवाददाता। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सभागार में शुक्रवार को स्थल मूल्यांकन केंद्रों के समन्वयकों की बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार सोनी ने की। बैठक में मार्च में होने वाली दसवीं व जमा दो कक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। स्थल मूल्यांकन केंद्रों के समन्वयकों ने बोर्ड अध्यक्ष को समस्याओं से अवगत करवाया। परीक्षाओं के सफल संचालन व उत्तर पुस्तिकाओं का समय पर मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड ने पहली बार समन्वयकों के साथ बैठक का आयोजन किया।
बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि नकल रोकने के लिए सीसीटीवी कैमरे शिक्षकों से बड़े नहीं हो सकते हैं। उडऩदस्ता टीम परीक्षा केंद्रों में आग्रही रूप से प्रवेश करे, ताकि भय का माहौल न बने और विद्यार्थी शांतिपूर्ण परीक्षा दे सकें। बोर्ड अध्यक्ष ने बताया 45 परीक्षा केंद्रों में महिला शिक्षकों को अधीक्षक व उपाधीक्षक नियुक्त किया गया है।
सरकारी व निजी स्कूलों में एक जैसा पाठ्यक्रम हो
समाज में बेटे और बेटियों के बीच ही भेदभाव नहीं होता है बल्कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों से भी किया जाता है। सरकार को सरकारी व निजी स्कूलों में पाठ्यक्रम एक जैसा करना चाहिए। राइट टू एजुकेशन फोरम की राज्य संयोजक आत्रीय सेन व सह संयोजक रमेश मस्ताना ने पत्रकारवार्ता में कहा सरकार बच्चों को उनकी रुचि अनुसार विषय पढ़ाने की व्यवस्था करे न कि उन पर विषय थोपे जाएं। पहली से पांचवीं तक हर कक्षा में अलग-अलग शिक्षकों की व्यवस्था होनी चाहिए। एक शिक्षक पांच कक्षाएं पढ़ाएगा तो शिक्षा में गुणवत्ता कैसे आएगी।
क्या कहती हैं छात्राएं
- प्रारंभिक शिक्षा से ही बच्चों को उनकी इच्छानुसार विषय पढ़ाए जाने चाहिए। ऐसी व्यवस्था न होने से बच्चे पिछड़ रहे हैं। मैं नृत्य की शौकीन हूं। यदि यह विषय स्कूल में होता तो शायद मैं आज अच्छा नृत्य करती। कभी देर से घर पहुंचती हूं तो स्वजन भी सवाल पूछते हैं। -दीक्षा
- निजी व सरकारी स्कूलों में एक जैसा पाठ्यक्रम होना चाहिए। इस पर भी सरकार को कदम उठाना चाहिए। अकसर निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को चिढ़ाते हैं। इस भेदभाव को खत्म करने के लिए पाठ्यक्रम एक जैसा करना चाहिए। -अंकिता
- शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए सरकार शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी पर न भेजे और मिड-डे मील के लिए भी अलग स्टाफ की व्यवस्था करे। ऐसा होने से शिक्षक बच्चों को गुणात्मक शिक्षा देने के लिए पर्याप्त समय दे पाएंगे और बच्चे भी मन लगाकर पढ़ सकेंगे। -निकिता
- स्वजन लड़कियों को भी उच्च शिक्षा ग्र्रहण करने के लिए बाहर भेजें। अकसर स्वजन कहते हैं कि बाहर लड़की को भेजेंगे तो वह बिगड़ जाएगी। कई लड़कियां ऐसी हैं जिन्होंने हर क्षेत्र में स्वजनों का नाम रोशन किया है। इसलिए स्वजनों को बेटियों पर नाज होना चाहिए। -तनवी।