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यहां कचरे से बनाया जा रहा है आशियाना

एक अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक की मोटाई के अनुसार इसे टूटने में 300 से 10 हजार साल लग सकते हैं।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 04 Jan 2018 12:52 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jan 2018 12:52 PM (IST)
यहां कचरे से बनाया जा रहा है आशियाना
यहां कचरे से बनाया जा रहा है आशियाना

पालमपुर, मुकेश मेहरा। पर्यावरण संरक्षण के लिए अब हर जगह इधर-उधर बिखरे प्लास्टिक कचरे का प्रयोग घरों की दीवारों में किया जाएगा। आप यह सोचकर हैरान हैं लेकिन यह बिलकुल सत्य है। बीड़ में रहने आए अमेरिकी डॉ. स्पीरो के इस सपने को पूरा करने में अब यहां के युवा और होटल व्यवसायी भी जुट गए हैं।

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कूड़ा-कचरा निष्पादन

पहले प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा कर बोतलों में भरने के बाद बेंच बनाए गए थे। अब इसका इस्तेमाल घरों या अन्य दीवारों को बनाने में किया जाएगा। इस मुहिम के तहत बीड़ पंचायत के छह गांवों बीड़, गुनेहड़, कोटली, चौगान, सूजा व क्योरी में प्लास्टिक कचरे को एकत्रित करने का अभियान छेड़ा गया है। डॉ. स्पीरो ने बीड़ क्षेत्र में बिखरे कूड़े-कचरे के निष्पादन के लिए चार चरणों में अभियान चलाया था। उनकी टीम ने घर-घर जाकर प्लास्टिक कचरे से होने वाले नुकसान के बारे में बताया।

 

बेहतरीन पहल 

इसके बाद उन्होंने कचरे को एकत्रित कर बोतलों में भरा। चौथे चरण में इन बोतलों का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में प्लास्टिक ईंटों की तरह किया जा रहा है। अब डॉ. स्पीरो अमेरिका लौट चुके हैं लेकिन उनकी टीम इस कार्य को अंजाम दे रही है। इसके तहत अब गुनेहड़, बीड़, क्योर व चौगान में कचरा कलेक्शन सेंटर खोले गए हैं। टीम सदस्य प्लास्टिक कचरे से भरी बोतलों का प्रयोग घरों की दीवारों को बनाने में करेंगे। इससे जहां प्लास्टिक कचरे को ठिकाने लगाया जा सकेगा वहीं पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी बचाया जा सकेगा। बिलिंग वैली एयरो स्पोट्र्स सोसायटी के अध्यक्ष सतीश अबरोल भी डॉ. स्पीरो की टीम के काम को बेहतरीन पहल करार दे रहे हैं।

 

बाहरी दीवारों में लगाई जाएंगी बोतलें

इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए डॉ.स्पीरो की टीम में पूनम, कविता, सुरेश ठाकुर, भाविका, किता, क्योरी के प्रधान राजकुमार व अंकुश राणा सहित गांव के अन्य युवा काम कर रहे हैं। बकौल अंकुश राणा, इन बोतलों को बाहरी दीवारों में लगाया जाएगा और वह भी मिट्टी के लेप के साथ ताकि अगर कोई अग्निकांड होता है तो आग लगने की संभावना कम ही होगी।

क्यों खतरनाक है प्लास्टिक

एक अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक की मोटाई के अनुसार इसे टूटने में 300 से 10 हजार साल लग सकते हैं। यह जमीन और पानी में मौजूद रहता है और छोटे- छोटे टुकड़ों में टूटता है। ये टुकड़े पौधों और पानी के जीवों के लिए भी नुकसानदायक होते हैं। प्लास्टिक जन्मदोष, हार्मोन असंतुलन और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है। इसे जलाने से डाइऑक्सीन नामक रसायन बनता है और यह ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।

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