हिंदी दिवस: नई शिक्षा नीति से बढ़ेगा हिंदी का महत्व, स्कूली शिक्षा में चलेगा त्रिभाषा फॉर्मूला
Hindi Diwas 34 साल बाद देश में लागू की जा रही शिक्षा नीति से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा फॉर्मूला चलेगा।
शिमला, जागरण संवाददाता। 34 साल बाद देश में लागू की जा रही शिक्षा नीति से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिलेगा। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में त्रिभाषा फॉर्मूला चलेगा। इसमें हिंदी, संस्कृत के साथ क्षेत्रीय भाषाओं का विकल्प रहेगा। नई नीति में पांचवी कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई का माध्यम बनेगी। उच्चतर शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद चौहान ने बताया कि कुछ समय से देश में लोगों का रुझान अंग्रेजी भाषा की ओर बढ़ता जा रहा है। बच्चा अपने घर में ङ्क्षहदी में बोलता है, स्कूल जाकर उसे अंग्रेजी में पढ़ाई करवाई जाती है। इससे बच्चों में कंसेप्ट स्पष्ट नहीं हो पाता था और वह असमंजस में रहता है। मातृभाषा में पढ़ाई होने से बच्चे विषय को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भाषा संचार का सबसे बड़ा साधन है। नई शिक्षा नीति से ङ्क्षहदी और क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलेगी। डॉ. प्रमोद चौहान ने कहा कि पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई होगी। हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी।
संस्कृति से जोड़कर आगे बढ़ाना भी है मकसद
डॉ. प्रमोद चौहान ने बताया कि नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक स्तर की पढ़ाई में मातृभाषा और स्थानीय भाषा के प्रयोग पर ज्यादा जोर दिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा और संस्कृति से जोड़कर रखना व उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। छोटे बच्चे घर में बोले जाने वाली भाषा में जल्दी सीखते हैं, यदि स्कूल में भी मातृभाषा का प्रयोग होगा तो इसका ज्यादा प्रभाव होगा। शिक्षा में हिंदी को प्राथमिकता मिलने से मातृभाषा पर गर्व होगा।