मोमोज को मात दे रहा हिमाचल का यह पकवान
हिमाचल में अब मोमोज की जगह सिड्डू को अधिक पसंद किया जा रहा है। इसके पीछे कई कारण है, जिससे आज हर कोई इसके चटकारे लेना चाहता है।
धर्मशाला, मोहिंद्र सिंह। तिब्बती फूड मोमोज का आज भले ही हर जगह करेज बढ़ा हो। लेकिन हिमाचल का एक ऐसा पकवान भी है, जो मोमोज को टक्कर दे रहा है। कभी हिमाचल के कुल्लू तक ही सीमित सिड्डू का जलबा आज पूरे प्रदेश में है। तो अब अन्य राज्यों से इस पकवान की मांग आने लगी है। देसी घी व हरी चट्टी के साथ सिड्डू को खाने का आनंद ही कुछ अलग है।
आज हिमाचल के अधिकांश मेलों में सिड्डू के हर कोई चटकारे ले रहा है। इस कुल्लवी व्यंजन की आज मांग बढ़ी है। सिड्डू को आटे से तैयार किया जाता है। इसमें मास की दाल व ड्राई फ्रूट जिनमें बादाम, पिस्ता व अखरोट का मिश्रण मिलाया जाता है और इसे मोमोज की तरह ही भाप से पकाया जाता है।
कुल्लू सहित प्रदेश के कई बड़े मेलों में सिड्डू के स्टॉल लगाने वाले कुल्लू के बाले राम कहते हैं कि आज से दस वर्ष पहले सिड्डू कुल्लू तक ही सीमित था। लेकिन आज इसकी मांग बढ़ी है। इसके पीछे कई कारण हैं, इनमें सिड्डू खाने में भी स्वादिष्ट है और इसमें पौष्टिकता भी भरपूर है। इसमें मोमोज की तरह न मैदे का इस्तेमाल होता है और न ही बंद गोभी का।
सिड्डू को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इसे देसी घी व हरी चटनी के साथ परोसा जाता है। बाले राम बताते हैं कि इस चटनी को टमाटर, पुदने, हरे धनिया व लहुसन आदि से तैयार किया जाता है। धर्मशाला के दशहरा महोत्सव में लगे बाले राम के स्टॉल में उमड़ी भीड़ से भी साफ है कि अब मोमोज की बजाए लोग इस हिमाचली पकवान को अधिक तरजीह दे रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि यह पकवान आटे से बनता है और इसमें ड्राई फ्रूट व देसी घी का अधिक इस्तेमाल होता है।