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अब नहीं सूखेंगे हिमाचल के झरने, जल संसाधन मंत्रालय की योजना करेगी काम

waterfall recharge Like as sikkim सिक्किम की सीख से हिमाचल के झरने कल-कल बहेंगे जल संसाधन मंत्रालय की योजना इस पर काम करेगी।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 11:20 AM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 01:43 PM (IST)
अब नहीं सूखेंगे हिमाचल के झरने, जल संसाधन मंत्रालय की योजना करेगी काम

मुनीष गारिया, धर्मशाला। पानी के लिए कल कल यानी कल के वादे पर सूखते आ रहे झरने अब सिक्किम की सीख से कल कल बहेंगे। सिक्किम की सीख तर्ज पर देशभर में झरनों का संरक्षण किया जाएगा और भूजल स्तर में सुधार आएगा। 2018 में नीति आयोग की ओर से दिए गए सुझावों पर जल संसाधन नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय ने झरनों के पानी को संरक्षित करने पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत पंचायत स्तर पर स्प्रिंग शेड प्रोग्राम के तहत कार्य किया जाएगा। इस दिशा में मंथन करने के लिए धर्मशाला में देशभर के भूजल विशेषज्ञ एकत्रित हुए।

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भूजल संरक्षण के लिए वैसे तो देशभर में काम किया जा रहा है, लेकिन झरनों को बचाने के लिए न तो योजना बनी है और न ही राष्ट्रस्तर पर अभी तक कोई सर्वे हुआ। एक सर्वे के अनुसार, आजादी के बाद अब तक करीब पांच हजार झरने या तो सूख चुके हैं या फिर केवल बरसात में ही बहते हैं। इसका मुख्य कारण इनका संरक्षण न किया जाना है। इसके विपरीत सिक्किम में 2009 से झरनों के संरक्षण पर काम शुरू हुआ था और इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। गौरतलब है कि सिक्किम ही ऐसा राज्य है जो जैविक खेती के लिए जाना जाता है और विश्व का पहला राज्य है जहां किसी कीटनाशक या खाद का प्रयोग नहीं होता।

सिक्किम में हर परिवार बचा रहा मासिक 3200 रुपये

2009 से पूर्व सिक्किम में प्रति परिवार 3200 रुपये महीना पानी पर खर्च करता था। इसके बाद सरकार ने स्प्रिंग शेड प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। 2013-14 में झरनों के आसपास 120 हेक्टेयर पहाड़ी क्षेत्र में गड्ढे बनाकर बारिश के पानी को संरक्षित करने पर काम शुरू किया और इसके 100 फीसद परिणाम आने शुरू हो गए। अब पूरे राज्य में धारा विकास योजना चल रही है और परिवारों का पानी पर होने वाला खर्च भी खत्म हो गया है।

देशभर में पंचायत स्तर पर होगा काम

देशभर में स्प्रिंग शेड प्रोजेक्ट के तहत पंचायत स्तर पर काम किया जाएगा और महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत आना वाला बजट भी जल संरक्षण के प्रोजेक्टों पर खर्च होगा। प्रोजेक्ट के पहले चरण में यह अध्ययन किया जाएगा कि किस राज्य में कितने झरने हैं और इनमें से कितनों से नियमित पानी बह रहा है और कितने सूख चुके हैं। इस वक्त भूजल स्तर पांच दशक पहले के मुकाबले एक तिहाई गिर चुका है और देश में 50 फीसद झरने सूख चुके हैं। नीति आयोग के सुझाव के बाद झरनों के विकास के लिए विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। अगर झरनों का संरक्षण होगा तो भूजल स्तर खुद ही सुधर जाएगा।

क्या है स्प्रिंग शेड प्रोग्राम

स्प्रिंग शेड प्रोग्राम के तहत झरनों के आसपास पहाड़ी क्षेत्र में पांच फीट गहरे गड्ढे बनाए जाते हैं और इनमें बारिश का पानी भर जाता है। गड्ढों में भरने वाला पानी भूमिगत होकर झरनों से बहता है। सिक्किम में पंचायत स्तर पर मनरेगा के तहत आने वाले बजट को भी इस कार्य पर खर्च किया जाता है। -यूपी सिंह, सचिव, जल संसाधन नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय

सिक्किम में धारा विकास योजना के सकारात्मक परिणाम आए हैं और झरनों का जीर्णोद्धार हुआ है। इसमें जनसहभागिता का भी योगदान रहा है। राज्य के लिए गर्व की बात है कि देश में इस पर कार्य शुरू होना जा रहा है। -सारिका प्रधान, प्रोजेक्ट निदेशक मनरेगा एवं अतिरिक्त सचिव, सिक्किम।


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