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HRTC Conductor: हिमाचल पथ परिवहन निगम के बैजनाथ और धर्मशाला डिपो को नहीं मिला एक भी परिचालक

HRTC Conductor Recruitment हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) में 565 परिचालकों की भर्ती के बावजूद धर्मशाला व बैजनाथ डिपो को कोई भी परिचालक नहीं मिला है। हालांकि धर्मशाला में पहले से परिचालक अधिक हैं। धर्मशाला डिपो 111 रूटों में से 102 रूटों में निगम की बसें दौड़ रही हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 12:35 PM (IST)
HRTC Conductor: हिमाचल पथ परिवहन निगम के बैजनाथ और धर्मशाला डिपो को नहीं मिला एक भी परिचालक
एचआरटीसी में 565 परिचालकों की भर्ती के बावजूद धर्मशाला व बैजनाथ डिपो को कोई भी परिचालक नहीं मिला है।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। HRTC Conductor Recruitment, हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) में 565 परिचालकों की भर्ती के बावजूद धर्मशाला व बैजनाथ डिपो को कोई भी परिचालक नहीं मिला है। हालांकि धर्मशाला में पहले से परिचालक अधिक हैं। धर्मशाला डिपो की तो यहां 111 रूटों में से 102 रूटों में निगम की बसें दौड़ रही हैं। वहीं इस डिपो में 156 परिचालक सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि कोरोना काल में प्रदेश में परिवहन सेवा के बंद होने और पुन: शुरू होने पर यात्रियों की स्थिति के अनुसार ही बसों को रूटों पर भेजा जा रहा था, लेकिन अब मौजूदा समय में परिस्थितियों के अनुकूल होने के बाद 102 रूटों तक पहुंच बन गई है। अब केवल सिर्फ नौ ही ऐसे रूट रहे हैं, जिनमें एचआरटीसी अपनी सेवाएं नहीं दे पा रही है। धर्मशाला डिपो के तहत करीब 143 बसें हैं।

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वहीं बात करें पठानकोट डिपो की तो यहां से 86 रूटों पर बस सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। इस डिपो में 177 परिचालक हैं। जिनकी अलग-अलग जगह ड्यूटी लगाई गई है। इस डिपो के तहत करीब सौ के आसपास निर्धारित रूट हैं। जिन तक पहुंचने के लिए पुन: यात्रियों को भी जागरूक किया जा रहा है। इसी तरह बैजनाथ डिपो में 101 बसें हैं और 368 कर्मचारियों का स्टाफ है। जिसमें से 130 कर्मियों के जोगेंद्रनगर डिपो में स्थानांतरित करने के निर्देश मिलने के बाद कई मामलों में स्थानांतरण स्थगित भी हो चुका है।

यह बोले प्रबंध निदेशक संदीप कुमार

परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार के मुताबिक परिचालक भर्ती के बाद उन्हीं डिपुओं में परिचालकों की तैनाती की गई है, जहां परिचालकों की कमी थी। धर्मशाला, पठानकोट व बैजनाथ डिपुओं में परिचालकों की संख्या पहले ही ज्यादा है।


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