सांसद की घेराबंदी करेंगे एनपीएस कर्मी, बजट सत्र के दौरान होगा बड़ा प्रदर्शन, पुरानी पेंशन का फार्मूला भी बताया
Himachal Pradesh NPS Employees एनपीएस एसोसिएशन ने शिमला सांसद एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। संघ के सदस्य इस मामले में सांसद की घेराबंदी करेंगे। अगर उन्होंने बयान वापस नहीं लिया तो एक लाख से अधिक कर्मचारी इनके खिलाफ विरोध जताएंगे।
शिमला, राज्य ब्यूरो। Himachal Pradesh NPS Employees, न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) एसोसिएशन (संघ) ने शिमला सांसद एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। संघ के सदस्य इस मामले में सांसद की घेराबंदी करेंगे। अगर उन्होंने बयान वापस नहीं लिया तो एक लाख से अधिक कर्मचारी इनके खिलाफ विरोध जताएंगे। इस संबंध में संगठन के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर अपनी टीम के साथ शिमला में आज दोपहर बाद पत्रकार वार्ता करेंगे। इसमें आगामी बजट सत्र के घेराव की रणनीति का भी खुलासा होगा। इस माैके पर पुरानी पेंशन बहाली को लेकर गाना भी रिलीज किया जाएगा।। यह जानकारी राज्य प्रेस सचिव अजय बन्याल ने दी। सांसद ने कहा था कि पुरानी पेंशन बहाली संभव नहीं है। इससे कर्मचारी भड़क गए हैं।
सरकार काे दिया अल्टीमेटम
गौरतलब है कि सरकार को पुरानी पेंशन बहाली के लिए फरवरी तक का समय दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि फरवरी तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं की तो बजट सत्र के दौरान प्रदेश भर के एनपीएस कर्मचारी तब तक शिमला में डटे रहेंगे जब तक बहाल न हो जाए। चेतावनी दी है कि सरकार 31 जनवरी तक कमेटी अपनी रिपोर्ट सबमिट करें। फरवरी तक पुरानी पेंशन बहाल करें। यदि सरकार ने फरवरी तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं कि तो वह शिमला में बजट सत्र में अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन करेंगे।
कंपनी कर रही पैसों का दुरुपयोग
संघ ने न्यू पेंशन को नो पेंशन करार दिया। संघ के अनुसार ये उनके जमा पैसे का ब्याज मात्र है, जिसे बंद किया जाए। उन्होंने एनपीएस कर्मचारियों का पैसा कंपनी के स्थान पर सरकार के पास रखने की मांग की, ताकि इसका दुरुपयोग न हो। कर्मचारियों का पैसा शेयर बाजार में नहीं लगना चाहिए। यदि ये राशि सरकार के पास रहेगी तो ये विकास कार्य में लगेगी।
कितना आएगा खर्चा
प्रदीप ठाकुर ने कहा कि यदि पुरानी पेंशन बहाल की जाती है तो सरकार पर एक साल का 500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। देनदारियां निपटाने के लिए 2000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि अभी 6000 करोड़ रुपये की राशि कंपनी के पास है। ऐसे में कंपनी से यदि इस 6000 करोड़ रुपये की राशि को सरकार वापस लेती है तो बकाया भुगतान करने के बाद भी 4000 करोड़ रुपये खजाने में आएगा।