प्रोजेक्टों की राह में लाल झंडा रोड़ा : सीएम
हिमाचल प्रदेश में 631 पावर प्रोजेक्ट का निर्माण लटका हुआ है। यहां से निवेशक पलायन कर रहे हैं। सरकार लाल झंडा यूनियन को प्रोजेक्ट की राह में सबसे बड़ा रोड़ा मानती है।
जेएनएन, धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में 631 पावर प्रोजेक्ट का निर्माण लटका हुआ है और निवेशक पलायन कर रहे हैं। सरकार लाल झंडा यूनियन को प्रोजेक्ट की राह में सबसे बड़ा रोड़ा मानती है। वीरवार को प्रश्नकाल के दौरान किन्नौर के विधायक जगत ¨सह नेगी के सवाल के जवाब में यह बात खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कही। उन्होंने कहा कि जहां भी प्रोजेक्ट आरंभ होता है वहां लाल झंडा यूनियन खड़ी हो जाती है। राज्य में कानून व्यवस्था बेहतर है। जलवायु अच्छी है।
पॉलिसी से संबंधित मसलों को भी सुलझाया जाएगा पर कुछ अरसे से यूनियनबाजी बढ़ गई है। प्रोजेक्ट लगाने वाले दहशत में हैं। बकौल सीएम, हालात ऐसे हो गए हैं जिन प्रोजेक्टों को आवंटित कर दिया वे भी छोड़कर जा रहे हैं। उन्होंने वामपंथी विधायक राकेश ¨सघा से आग्रह किया है कि यूनियनबाजी को रोकें। इसे सीधेतौर पर हिमाचल का हित जुड़ा हुआ है। सिंघा ने सीएम के आग्रह पर कहा कि वे सरकार को बिना शर्त सहयोग देंगे, बशर्तें सरकार मजदूरों से जुड़े कानूनों की पालना सुनिश्चित करे।
किन्नौर में लोग मांग रहे पैसा : मंत्री ऊर्जा मंत्री ने कहा कि किन्नौर में लोग पैसे की मांग कर रहे हैं। पांगी में तीन मेगावाट के प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। पंचायत ने एनओसी दी है और इसके बाद लोग 50 फीसद हिस्सा मांग रहे हैं। एनओसी को वापस लिया गया। सोलंग में पांच मेगावाट के प्रोजेक्ट के लिए पांच करोड़ की मांग कर रहे हैं। लटके प्रोजेक्टों के निर्माण और बेहतर क्रियान्वयन के लिए सरकार ने उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है। सीएम के आदेश के बाद इसका गठन हुआ है। सरकार हरसंभव प्रयास करेगी।
बिजली उत्पादन की संभावनाएं ज्यादा प्रदेश में 27 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने की संभावना है। देश में अभी 45 हजार मेगावाट बिजली पैदा हो रही है और इसमें से 10500 अकेले हिमाचल में हो रही है। सीएम ने सदन को यह जानकारी दी। विधायक जगत ¨सह ने मूल सवाल पूछा था। उन्होंने जानना चाहा कि लंबित मामलों को लेकर सरकार क्या कदम उठाएगी। विधायक सुंदर ¨सह और राकेश ¨सघा ने भी पूरक सवाल पूछे। कितने प्रोजेक्ट लंबित प्रदेश में 707 प्रोजेक्टों में से 631 या तो निर्माणाधीन हैं या क्लीयरेंस, डीपीआर या अन्य प्रक्रियाओं से गुजर रहे हैं। करीब दो सौ सर्वे के स्टेज में हैं। अकेले किन्नौर में 36 प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं। इनकी क्षमता 95 मेगावाट की है और इनमें से काफी लटके हुए हैं।