हिमाचल हाईकोर्ट की टिप्पणी, सरकार अभी साेई प्रतीत होती है, सरकारी कार्यालयों में बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू करें
Himachal Pradesh High Court हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार अभी सोई हुई प्रतीत होती है। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि सभी सरकारी कार्यालयों बोर्डों व निगमों में बायोमीट्रिक मशीन से कर्मचारियों की 100 प्रतिशत हाजिरी शुरू करें।
शिमला, विधि संवाददाता। Himachal Pradesh High Court, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने बुधवार को मुख्य सचिव को आदेश दिए हैं कि सभी सरकारी कार्यालयों, बोर्डों व निगमों में बायोमीट्रिक मशीन से कर्मचारियों की 100 प्रतिशत हाजिरी शुरू करें। बायोमीट्रिक मशीन के उपयोग को फिर से शुरू करने में विफल रहने पर फटकार लगाते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार अभी भी "सोई हुई प्रतीत होती है"। कोर्ट ने जल्द से जल्द व्यवस्था को फिर से सक्रिय करने का निर्देश दिया।
कोविड के कारण बायाेमीट्रिक से हाजिरी कर दी थी बंद
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने उस याचिका पर आदेश पारित किया, जिसमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति का विवरण मांगा गया था। कोर्ट ने विभाग को सुबह 10.05 बजे तक विवरण जमा करने का निर्देश दिया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा। पीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों, उपक्रमों और राज्य सरकारों को कार्यालयों में बायोमीट्रिक मशीन को फिर से सक्रिय करने का निर्देश दिया है, लेकिन हिमाचल में ऐसा नहीं हो पाया। कोविड संकट के दौरान बायोमीट्रिक मशीन से हाजिरी को सरकारी कार्यालयों में निलंबित कर दिया गया था।
कम कर दिया था वेतन
प्रार्थी रजनीश पाल की ओर से दायर अनुपालन याचिका की सुनवाई के दौरान अधिकारी को पहली नवंबर को कोर्ट में उपस्थित रहने को कहा था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं आए। कोर्ट ने उन्हें 15 नवंबर को पेश होने के आदेश दिए थे। प्रार्थी हमीरपुर जिले में बतौर प्रवक्ता तैनात है। 23 मई 2003 को उसे दिया वेतनमान शिक्षा विभाग ने 22 अक्टूबर 2003 को घटा दिया। रजनीश पाल व अन्य प्रार्थियों ने आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने पाया कि वेतनमान घटाने का आदेश प्रार्थियों को बिना कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। कोर्ट ने शिक्षा विभाग के 22 अक्टूबर 2003 के आदेश को गैर कानूनी ठहराते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद भी शिक्षा विभाग ने मार्च 2004 से 31 दिसंबर 2008 तक घटाया वेतन ही दिया।