Move to Jagran APP

गुरु पूर्णिमा विशेष: शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज बोले, अब तक याद हैं गाल पर छपी अंगुलियां

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज बोले मैंने खड़े होकर कहा कि सोमवार को ले आऊंगा। उसके बाद वह मेरे करीब आए और पूरी ताकत के साथ मुझे एक थप्पड़ पड़ा।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 02:35 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 02:35 PM (IST)
गुरु पूर्णिमा विशेष: शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज बोले, अब तक याद हैं गाल पर छपी अंगुलियां
गुरु पूर्णिमा विशेष: शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज बोले, अब तक याद हैं गाल पर छपी अंगुलियां

धर्मशाला, जेएनएन। मेरे विद्यार्थी जीवन की बात है। एक बार बरसात की छुट्टियां खत्म हुईं। स्कूल सोमवार से शुरू होना था। रोहड़ू क्षेत्र का सबसे बहुत पुराना स्कूल है..पढाल। फिर पता चला कि शनिवार से ही शुरू हो जाएगा। मुझे लगा कि गृह कार्य जिन कॉपियों में किया है, उन्हें सोमवार को स्कूल ले जाऊंगा। सो शनिवार को बिना गृह कार्य के ही स्कूल पहुंच गया। अध्यापक गोबिंद राम झिंगटा जी ने कड़क आवाज में कहा, 'लाओ सुरेश! गृहकार्य दिखाओ।Ó मैंने खड़े होकर कहा कि सोमवार को ले आऊंगा। उसके बाद वह मेरे करीब आए और पूरी ताकत के साथ मुझे एक थप्पड़ पड़ा।

loksabha election banner

थप्पड़ क्या था...यूं समझिए कि पांचों अंगुलियां मेरी गाल पर छप गईं। फिर तो आदत बना ली कि जो काम जिस दिन होना है, वह उसी दिन होना है। उसे लंबित रखने का कोई मतलब नहीं है। यह थे झिंगटा जी, जिनका मेरे जीवन और मेरी कार्यशैली पर अब तक प्रभाव है।

मेरे पिता जी नौकरीपेशा आदमी थे, इसलिए जहां उनका तबादला होता वहां मैं भी चला जाता था। जीवन में जितने अध्यापक आए, सब एक से बढ़ कर एक लेकिन जिनसे सबसे अधिक प्रभावित हुआ, उनमें एक ंिझंगटा जी थे और दूसरे थे प्रोफेसर श्यामसुंदर जी। बॉटनी पढ़ाते थे। कॉलेज था शिमला का सनातन धर्म भार्गव कॉलेज। वह पंजाब विश्वविद्यालय से नए-नए एमएससी करके आए थे। बेहद ज्ञानवान। उनकी बातें विद्यार्थियों के मन में सीधे उतर जाती थी। बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में वह अध्यक्ष हुए और मैं मंत्री। उन्होंने जीवन के प्रति दृष्टि के जो आयाम जोड़े, वे अब भी साथ देते हैं। बाद में वह सत्य साई बाबा के भक्त हो गए थे।

मेरी हायर सेकेंडरी घुमारवीं स्कूल से 1968 में हुई। उसके बाद मैं प्री मेडिकल के लिए जालंधर चला गया। फिर बीएससी शिमला से की। उसके बाद कानून की पढ़ाई की। इन सभी स्थानों पर कई अच्छे अध्यापक मिले।

गुरु और शिष्य का संबंध संसार का एकमात्र ऐसा संबंध है जहां एक चाहता है कि मैं अपना सारा ज्ञान दूसरे को दे दूं और उसका जीवन संवार दूं। आज जो हूं, केवल अपने अध्यापकों के कारण। सबको मेरा नमन पहुंचे।  (जैसा हिमाचल प्रदेश के शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने दैनिक जागरण को बताया)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.