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एफसीए और एफआरए के मामले में शीर्ष अदालत में पक्ष रखेगी हिमाचल सरकार

वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) और वनाधिकार कानून (एफआरए) के केस की अंतिम स्वीकृति देने पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संबंध में कोर्ट में इंटरलाक्यूटरी एप्लीकेशन (अंतरवर्ती आवेदन) दायर की जाएगी। केसों की स्वीकृति देने का भी आग्रह किया जाएगा।

By Vijay BhushanEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 10:35 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 10:35 PM (IST)
एफसीए और एफआरए के मामले में शीर्ष अदालत में पक्ष रखेगी हिमाचल सरकार
वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) और वनाधिकार कानून (एफआरए) के केस सुप्रीमकोर्ट में रखे जाएंगे। जागरण

शिमला, राज्य ब्यूरो। वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) और वनाधिकार कानून (एफआरए) के केस की अंतिम स्वीकृति देने पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संबंध में कोर्ट में इंटरलाक्यूटरी एप्लीकेशन (अंतरवर्ती आवेदन) दायर की जाएगी। इसमें 20 से अधिक एफसीए केसों की स्वीकृति देने का भी आग्रह किया जाएगा। इसी साल फरवरी में देश की शीर्ष कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को बड़ी राहत दी थी। तब एक साथ लंबित पड़े विकास कार्याें से संबंधित 603 प्रोजक्टों में एफसीए, एफआरए की स्वीकृति दी गइ थी। इसके बाद मार्च और मई में दो अलग- अलग एप्लीकेशन दाखिल की गई। इसमें पहली एप्लीकेशन में 22 मामले एफसीए के और 55 मामले एफआरए के थे। जबकि दूसरी एप्लीकेशन में एफसीए के 19 और एफआरए के 39 मामले शामिल थे।

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कोर्ट से मार्च 2019 में एएफसीए, एफआरए की अंतिम स्वीकृति देने पर रोक लगाई थी। इसके तहत डीएफओ की शक्तियों को भी रोक दिया गया था।

हरित कटान पर है रोक

प्रदेश में पिछले साल दशक से हरित कटान पर रोक है। केवल निजी भूमि से पेड़ काटने की अनुमति मिलती है। भू-मालिक दस साल में एक बार अपनी जमीन से पेड़ न केवल काट सकते हैं बल्कि इनकी लकड़ी बेच भी सकते हैं।

क्या है इंटरलाक्यूटरी एप्लीकेशन

अंतरवर्ती आवेदन न्यायालय से संबंधित होता है। इसमें बिना अनुमति के अधिकारी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।

क्या है मामला

सुप्रीमकोर्ट ने पूर्व पीसीसीएफ वीपी मोहन की अध्यक्षता में निगरानी कमेटी गठित की थी। इसने तीन रेंज नूरपुर, बिलासपुर और पांवटा में हरे पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी। प्रयोग के आधार पर यह मिल भी गई। बाद में कमेटी ने एफआरए व एफसीए के तहत काटे जाने वाले पेड़ों के बारे में जानकारी मांगी। कोर्ट ने इसका कड़ा संज्ञान लिया और स्वीकृतियों पर तत्काल रोक लगा दी गई।

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कोर्ट से एसीए व एएफआरए केसों से पाबंंदी हटाने का आग्रह किया जाएगा। साथ ही अंतिम स्वीकृति की अनुमति देने की मांग की जाएगी।

-डा. सविता, पीसीसीएफ।


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