Himachal Election Result: असंतुष्ट नेताओं के क्षेत्रों हुए ज्यादा मतदान ने बढ़ाई राजनीतिक दलों की चिंता
हिमाचल के विधानसभा चुनावों में विद्रोही होकर चुनावी समर में उतरे अपने ही नेताओं को झेल रहे राजनीतिक दलों की चिंता अब उनके क्षेत्रों में हुए ज्यादा मतदान ने बढ़ा दी है। नालागढ़ में भाजपा के विद्रोही पूर्व विधायक केएल ठाकुर मैदान में है।
शिमला,रोहित नागपाल। हिमाचल के विधानसभा चुनावों में विद्रोही होकर चुनावी समर में उतरे अपने ही नेताओं को झेल रहे राजनीतिक दलों की चिंता अब उनके क्षेत्रों में हुए ज्यादा मतदान ने बढ़ा दी है। नालागढ़ में भाजपा के विद्रोही पूर्व विधायक केएल ठाकुर मैदान में है। यहां पर 81.40 फीसद मतदान हुआ है । इसलिए अब राजनीतिक जानकार भी इस पशोपेश में है कि ज्यादा मतदान निर्दलीय के पक्ष में हो सकता है या फिर किसी अन्य की। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा है। इसी तरह से बंजार में 79.62 फीसद, चंबा में 75. 12 फीसद, कांगड़ा में 75.02 फीसद, बिलासपुर में 76.48 करसोग में 76.53 फीसद, ठियोग में 74. 96 आनी में 73. 90 फीसद मतदान रिेकार्ड किया गया।
किन्नौर में 72.56 फीसद मतदान
इसी तरह से कुल्लू में 75 .75 फीसद, और किन्नौर में 72.56 फीसद मतदान रिकार्ड किया गया है। धर्मशाला में विद्रोही के चुनावी समर में होने के बावजूद 70. 92 फीसद बड़सर में 71. 70 फीसद, फतेहपुर में 70. 88 फीसद और हमीरपुर में 71.17 फीसद मतदान ही रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह जहां पर कांग्रेस के विद्रोही नेता चुनावी समर में उतरे थे। यहां पर भी मतदान की प्रतिशतता काफी ज्यादा रही है। पच्छाद में 78.30 फीसद, चौपाल में 75.21, आनी में 73.90 नाचन में 79.31 फीसद सुलह में 70.69 और जसवां परागपुर में 73.67 फीसद मतदान रिकार्ड हुआ हैं। राजनीतिक गलियारों से लेकर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जहां पर दोनों ही राजनीतिक दलों के विद्रोही नेता चुनावी समर में उतरे थे, वहां पर औसत से ज्यादा हुआ मतदान किसके पक्ष में रहा होगा। इसको लेकर अब मतदान के दिन तक सबसे ज्यादा चर्चा है ।
24 विद्रोहियों ने चुनावों के दौरान किया भाजपा कांग्रेस को परेशान
प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के विद्रोहियों की संख्या 24 से ज्यादा चुनावों में रही। कांग्रेस को विद्रोहियों को बिठाने में काफी सफलता मिली और कांग्रेस के विद्रोही चुनावी समर में थे। भाजपा के 18 विधानसभा क्षेत्रों व कांग्रेस के छह चुनावी क्षेत्रों में विद्रोहियों से जूझती रही। दोनों ही राजनीतिक दलों ने हालांकि इनको पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से बाहर कर दिया गया था , लेकिन चुनावी समर में अंत तक अपना पूरा पसीना जीत के लिए बहाते रहे।