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पहाड़ में फिर घूमने लगा अर्थव्यवस्था का पहिया, कार्यालयों में रोस्टर की बन गई व्यवस्था, जरूरी कार्य निपटना शुरू

Himachal Unlock कोरोना के इस घोर संकट में पहाड़ की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर घूमने लगा है। सरकारी कार्यालयों में 30 फीसद कर्मचारियों की उपस्थिति से विकास कार्य फिर शुरू हो गए हैं। अब रोस्टर की पुख्ता व्यवस्था बन गई है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 06:28 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 07:22 AM (IST)
पहाड़ में फिर घूमने लगा अर्थव्यवस्था का पहिया, कार्यालयों में रोस्टर की बन गई व्यवस्था, जरूरी कार्य निपटना शुरू
कोरोना के इस घोर संकट में पहाड़ की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर घूमने लगा है।

शिमला, राज्य ब्यूरो। कोरोना के इस घोर संकट में पहाड़ की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर घूमने लगा है। सरकारी कार्यालयों में 30 फीसद कर्मचारियों की उपस्थिति से विकास कार्य फिर शुरू हो गए हैं। अब रोस्टर की पुख्ता व्यवस्था बन गई है। सभी विभागों में रोस्टर तैयार कर लिया है। इसके आधार पर ही अब कर्मचारी कार्यालय आ रहे हैं। हालांकि अभी रूटीन के काम नहीं होंगे, केवल जरूरी कार्यों को ही निपटाया जा रहा है। कोरोना कर्फ्यू के कारण कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया था ।करीब पौने तीन लाख कर्मचारी घरों से ही कार्य कर रहे थे। लेकिन लंबे समय तक यह व्यवहारिक नहीं था।

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जैसे ही कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई, सरकार ने तय किया किया कि कर्मचारी 30 फीसद कार्यालय आएंगे। सोमवार से यह व्यवस्था शुरू हो गई थी। लेकिन पहले दिन व्यवस्था पूरी नहीं बन पाई थी। विभागों में सैनिटाइज करने की अभी भी पूरी सुविधा कई जगह पर नहीं है। इससे संक्रमण के फैलने की आशंका बनी हुई है। बेशक कर्मचारी अपनी तरफ से शारीरिक दूरी के नियमों की पूरी पालना कर रहे हैं। लेकिन फाइलों का रूट लंबा होने और कई हाथों से गुजरने के कारण पूरी एहतियात बरती जा रही है।

अभी कार्यालयों में लोगों की आवाजाही नहीं हो रही है। उम्मीद है कि जल्द ही सरकार कर्मचारियों की 50 फीसद संख्या तय कर सकती है। उससे विकास कार्यों को और गति मिल पाएगी। गौरतलब है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है। इसके साथ ही मौत का आंकड़ा भी लगभग आधा हो गया है। लेकिन यह पूरी तरह से थम नहीं पाया है। इसे देखते हुए सरकार कई तरह के कड़े कदम उठा रही है।

बहाल नहीं हुई परिवहन सेवा

प्रदेश में परिवहन सेवाएं बहाल नहीं हुई है। खासकर बस से नहीं चल रही है। इस कारण कर्मचारियों और लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। सरकार जल्द ही 50 फीसद ऑक्युपेंसी के साथ बस सेवाएं दोबारा शुरू कर सकती है। कोरोना काल में लोग बसों में पहले की तुलना में कम सफर करना पसंद किया। अगर सवारियां बसों में कम बैठती है तो खासकर हिमाचल पथ परिवहन निगम को इसका भी नुकसान होता है। कम सवारियों से इंधन का खर्चा भी पूरा नहीं हो पाता है। दूसरी ओर अभी भी निजी बस ऑपरेटर हड़ताल पर चल रहे हैं। निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि अगर सरकार ने उन्हें राहत नहीं दी तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल बस सेवाएं बहाल होने के बाद भी जारी रखेंगे।

कैबिनेट बैठक में मिले राहत

निजी बस ऑपरेटर संघ के महासचिव रमेश कमल का कहना है पांच जून को होने वाले मंत्रिमंडल की बैठक में निजी बस ऑपरेटरों को राहत दी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम प्रदेश में बसे नहीं चलाएंगे जब तक सरकार हमारी मांगे पूरी नहीं करती तब तक हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे।


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