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हिमाचल उपचुनाव: सत्‍ता के सेमीफाइनल के नतीजे दिलाएंगे फाइनल का टिकट, इनकी साख दांव पर

Himachal By Election हिमाचल प्रदेश के चार उपचुनाव सत्ता का सेमीफाइनल हैं और इसके नतीजे विधानसभा चुनाव का रास्ता प्रशस्त करेंगे। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सभी जगह से उपचुनाव जीतना जहां जरूर होगा वहीं सत्ता में वापसी करने के लिए विपक्षी कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 01:46 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 01:46 PM (IST)
हिमाचल उपचुनाव: सत्‍ता के सेमीफाइनल के नतीजे दिलाएंगे फाइनल का टिकट, इनकी साख दांव पर
हिमाचल प्रदेश के चार उपचुनाव सत्ता का सेमीफाइनल हैं और इसके नतीजे विधानसभा चुनाव का रास्ता प्रशस्त करेंगे।

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। Himachal By Election, हिमाचल प्रदेश के चार उपचुनाव सत्ता का सेमीफाइनल हैं और इसके नतीजे विधानसभा चुनाव का रास्ता प्रशस्त करेंगे। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा के लिए सभी जगह से उपचुनाव जीतना जहां जरूर होगा, वहीं सत्ता में वापसी करने के लिए विपक्षी कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। लेकिन असली परीक्षा तो सरकार के मंत्रियों की होने वाली है कि प्रत्येक मंत्री का जनाधार उसके अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित है या फिर कैबिनेट मंत्री प्रदेश के किसी भी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव जीताने का दम रखते हैं। इसी तरह से भाजपा विधायकों को भी अग्नि परीक्षा से होकर गुजरना होगा।

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उपचुनाव में मंत्रियों द्वारा किए गए कार्याें पर जनता मुहर लगाएगी। उसी तरह से भाजपा विधायकों को भी विधानसभा में किए विकास कार्यों का फल देगा। उपचुनाव में बीस विधानसभा क्षेत्रों में मंत्रियों के साथ-साथ विधायकों को भी राजनीति के झंझावत से गुजरना होगा। प्रदेश में दीपकमल और दिल्ली दीनदयाल उपाध्याय मुख्यालय में बैठा भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुनाव परिणाम के आधार पर मंत्रियों और भाजपा विधायकों के लिए अगली भूमिका का निर्धारण करेगा।

महेंद्र की परीक्षा मंडी लेगी

सरकार में दूसरे पायदान के मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को साबित करना होगा कि उनका सिक्का धर्मपुर सीट पर ही नहीं चलता है। वैसे तो सुखराम गुजरे जमाने के सियासतदान हो चुके हैं। लेकिन गाहे-बगाहे उपचुनाव में भी उनकी चर्चा हो रही है। ऐसे में महेंद्र सिंह को मंडी सदर से कारगिल युद्ध के हीरो रहे ब्रिगेडियर खुशाल चंद ठाकुर को बढ़त दिलानी होगी। इससे पहले नगर निगम चुनाव में स्वयं मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मैदान में न उतरते तो मंडी नगर निगम शायद भाजपा के हाथ से चला जाता।

कांगड़ा का नेता बनने का मौका

एक वर्ष से कम समय पहले सरकार में कैबिनेट मंत्री पद प्राप्त करने वाले राकेश पठानिया के लिए कांगड़ा जिला का सर्वोच्च नेता बनने का अवसर है। क्योंकि धर्मशाला नगर निगम चुनाव में जीत दिलाने का श्रेय पठानिया को जाता है। अब कांगड़ा जिला के फतेहपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में यदि भाजपा जीत दर्ज करती है तो राकेश पठानिया की रणनीति और राजनीतिक कौशल पर मुहर लगेगी।

फर्स्ट टाइमर विधायकों पर नजर

पहली बार जीतकर विधानसभा की दहलीज लांघने वाले भाजपा विधायकों को उपचुनाव भ्रम के माया जाल से बाहर निकालेगा। यदि बढ़त दिलाने में सफल रहे तो अगले वर्ष-2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट हाथ में थमाएगी, वरना कोई दूसरा विकल्प तलाशेगी।


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