खुशखबर : हीमोफीलिया के मरीजों को अब नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में लग सकेगा फेक्टर-8 का टीका
हीमोफीलिया के मरीजों को अब नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में फेक्टर-8 इंजेक्शन उपलब्ध हो सकेगा। सरकार की मुफ्त दवा नीति के तहत मरीज को यह टीका मुफ्त मुहैया करवाया जा रहा है। मौजूदा समय तक यह इंजेक्शन आइजीएमसी (इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज) में उपलब्ध है।
शिमला, जागरण संवाददाता। हीमोफीलिया के मरीजों को अब नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में फेक्टर-8 इंजेक्शन उपलब्ध हो सकेगा। सरकार की मुफ्त दवा नीति के तहत मरीज को यह टीका मुफ्त मुहैया करवाया जा रहा है। मौजूदा समय तक यह इंजेक्शन आइजीएमसी (इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज) में उपलब्ध है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसे मरीजों के नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाने का फैसला लिया है।
आइजीएमसी में मेडिसिन स्टोर इंचार्ज डा. राहुल गुप्ता ने बताया कि प्रदेशभर के 138 बच्चे हीमोफीलिया की बीमारी से ग्रसित हैं। ऐसे बच्चों में कई बार अंदरूनी ब्लीङ्क्षडग देखी जाती है और कई बार चोट लग जाने पर खून बहना बंद नहीं होता। ऐसे में मरीज का खून काफी वह जाता है और जान का खतरा बन जाता है। ऐसे में फेक्टर-8 इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है। गंभीर स्थिति में मरीज को आठ से दस इंजेक्शन भी लगाने पड़ जाते हैं। बाजार में एक इंजेक्शन की कीमत 4000-5000 रुपये है, आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मरीज कई बार इलाज से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि दो साल पहले शुरू की गई मुफ्त दवा नीति में सरकार ने हीमोफीलिया की बीमारी के इलाज के लिए ये इंजेक्शन नि:शुल्क कर दिए हैं, ताकि मरीजों को पैसों के अभाव में इलाज से महरूम न रहना पड़ जाए। उन्होंने बताया कि हीमोफीलिया बीमारी अनुवांशिक हो सकती है। विभाग व सरकार का उद्देश्य है कि लोगों को किसी भी इलाज से वंचित न रहना पड़े।
हीमोफीलिया के लक्षण
हीमोफीलिया में नाक से लगातार खून बहना, मसूड़ों से खून निकलना, त्वचा आसानी से छिल जाना, शरीर में आंतरिक रक्तस्राव के कारण जोड़ों में दर्द होना, सिर के अंदर रक्तस्राव, गर्दन में अकडऩ, उल्टी, धुंधला दिखना, बेहोशी और चेहरे पर लकवा होने जैसे लक्षण नजर आते हैं। लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। दवाइयों व फेक्टर-8 जैसे इंजेक्शन से इस बीमारी का इलाज किया जाता है।