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कोरोना काल में स्वास्थ्य निदेशालय ने की 15 करोड़ की खरीदारी, विजिलेंस खंगाल रही डाटा

Health Directorate कोरोना काल में स्वास्थ्य निदेशक रहे अजय कुमार गुप्ता की अगुआई में निदेशालय में 15 करोड़ की खरीदारी की गई है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 07:33 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 07:33 AM (IST)
कोरोना काल में स्वास्थ्य निदेशालय ने की 15 करोड़ की खरीदारी, विजिलेंस खंगाल रही डाटा
कोरोना काल में स्वास्थ्य निदेशालय ने की 15 करोड़ की खरीदारी, विजिलेंस खंगाल रही डाटा

शिमला, यादवेन्द्र शर्मा। कोरोना काल में स्वास्थ्य निदेशक रहे अजय कुमार गुप्ता की अगुआई में निदेशालय में 15 करोड़ की खरीदारी की गई है। दो करोड़ रुपये से तो वेंटीलेटर ही खरीदे गए। ऑडियो वायरल होने के बाद अब विजिलेंस इस खरीद का पूरा डाटा खंगाल रही है, दो माह की खरीदारी के दौरान स्वास्थ्य निदेशालय ने क्या-क्या सामान खरीदा। इस खरीद में वेंटीलेटर के अलावा पीपीई कीट, मास्क, सैनिटाइजर, दवाओं सहित उपकरण शामिल हैं।

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पहले लॉकडाउन के दौरान जब सब बंद था तो ऐसी स्थिति में कोरोना से निपटने के लिए लाखों का सामान ऐसे ही खरीदा गया था, जिसका कारण यह था कि उस दौरान सामान मिल भी नहीं रहा था और सबकुछ बंद पड़ा हुआ था।

चारों लॉकडाउन के दौरान हुई खरीदारी के सभी तथ्यों को जांचा जा रहा है। स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से की गई इस खरीद में कुल आठ कंपनियों से खरीदारी की गई है। इनकी खरीदारी की प्रक्रिया को जांचा जा रह है। आखिर निविदा प्रक्रिया की शर्तों को पूरा भी किया गया या ऐसे ही खरीदारी तो नहीं हुई। करोड़ों की खरीद के बाद सामान की आपूर्ति अस्पतालों को की गई। पीपीई कीट और सर्जिकल मास्क व एन 95 मास्क की खरीद करोड़ों रुपये की लागत से की गई है।

कोरोना काल में खरीदी गई पीपीई किट पर स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सा अधिकारी संघ ने भी सवाल उठाए हैं। किट के निम्न स्तर होने के आरोप लगाए गए थे। स्वास्थ्य निरीक्षक रहे अजय कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में ही खरीद का काम किया गया है।

सेवाविस्तार की कर रखी थी पूरी तैयारी

अजय कुमार गुप्ता 30 मई को स्वास्थ्य निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हो रहे थे। सेवाविस्तार के लिए उन्होंने पूरा जोर लगाया हुआ था। सेवानिवृत्ति के नौ दिन उनपर भारी पड़े हैं।

चौथे स्वास्थ्य निदेशक, जिनकी कार्यप्रणाली पर उठे सवाल

अजय कुमार गुप्ता चौथे स्वास्थ्य निदेशक हैं, जिनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। 1997 में रहे स्वास्थ्य निदेशक केएस सोहल, सुखराम चौहान और केएस राणा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए थे।

विजिलेंस जांच कर रही है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अलग से जांच की जरूरत नहीं है। सारे मामले को देखा जा रहा है। -आरडी धीमान, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य।


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