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एक सोच बन गई बड़ा समूह, जरूरत पर तुरंत उपलब्ध करवाते हैं खून

हर समय सरकार पर ही आश्र‍ित रहने वालों के ल‍िए यह क्‍लब एक म‍िसाल हो सकता है। एक टीम ने ब्‍लड बैंक की कमी को सरकार के इंतजार में नहीं रखा, बल्‍‍िक खुद एक बड़ी टीम तैयार की।

By Munish DixitEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 02:26 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 02:31 PM (IST)
एक सोच बन गई बड़ा समूह, जरूरत पर तुरंत उपलब्ध करवाते हैं खून
एक सोच बन गई बड़ा समूह, जरूरत पर तुरंत उपलब्ध करवाते हैं खून

मुनीष दीक्ष‍ित, धर्मशाला। तीन साल पहले तक हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा का पंजाब के साथ लगता नूरपुर का इलाका एक ऐसा स्थान था, जहां चिकित्सक किसी मरीज या उसके तीमारदार को जल्द खून की व्‍यवस्‍था करने को कह देता, तो मानों बीमारी से बड़ी मुसीबत हर किसी पर आ जाती थी। तुरंत पंजाब के पठानकोट में कई घंटों तक कतार में लगकर या फिर 60 किलोमीटर दूर टांडा अस्पताल से ब्लड लाने की व्यवस्था करनी पड़ती थी, लेकिन उसकी भी कोई गारंटी नहीं होती थी क‍ि खून की व्‍यवस्था हो पाएगी। हर कोई इस परेशानी से बाक‍िफ था, लेक‍िन समस्‍या का हल केवल सरकार के मत्‍थे मढ़ द‍िया जाता था।

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इस दौरान सामान्य बातचीत के लिए करीब तीन साल आपस में बैठे नूरपुर के तीन लोगों ने जब ब्लड की जरूरत को लेकर आपस में चर्चा मंथन शुरू क‍िया, तो एक ऐसी व्यवस्था शुरू करने का आइडिया निकला, जिसने आज कई लोगों का जीवन बचाया है, साथ ही उस जद्दोजहद से भी छुटकारा द‍िला द‍िया, जो ब्‍लड बैंकों के बाहर खून लेने के ल‍िए करनी पड़ती थी। इस व्‍यवस्‍था ने केवल कांगड़ा ही नहीं बल्कि पंजाब के पठानकोट से लेकर चंबा तक के लोगों की तुरंत मदद की पहल शुरू कर दी है।

नूरपुर ब्लड डोनर्स क्लब की शुरूआत
नूरपुर में वर्ष 2015 में बागवानी विवि नौणी के जसूर स्थित केंद्र में तैनात राजीव पठानिया, समाजसेवी मनोज पठानिया व वरिष्ठ अधिवक्ता केबी शर्मा के बीच लोगों की ब्लड की जरूरत के समय ब्लड के लिए परेशान होने की दिक्कत को लेकर चर्चा हो रही थी। इसी बीच आइडिया निकला कि हम क्यों हर कार्य के लिए सरकार पर निर्भर रहे। क्यों न ऐसी खुद एक टीम तैयार की जाए, जो तुरंत जरूरत के समय सक्रिय हो जाए। इस आइडिया के साथ ही अगले दिन नूरपुर ब्लड डोनर्स क्लब का गठन हुआ। कुछ लोगों का कारवां आज 800 सदस्यों का पहुंच गया है और इसमें 450 सदस्य पूरी तरह से एक्टिव सदस्य हैं।

तीन साल में की 39 सौ यूनिट की व्यवस्था
नूरपुर ब्लड डोनर्स क्लब तीन साल में करीब 39 सौ यूनिट रक्त की व्यवस्था कर चुका है। इसमें 11 कैंपों के माध्यम से 2200 यूनिट तथा इमरजेंसी में करीब 1750 यूनिट रक्त की व्यवस्था की गई है। इस टीम ने 23 मार्च 2016 को पहली बार शहीदी दिवस पर एक विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया था। इसमें 603 लोगों ने पठानकोट, टांडा व धर्मशाला ब्लड बैंक के लिए खून दिया था। इसके बाद वर्ष 2017 में हुए शिविर में 315 लोग ऐसे थे, जिन्होंने पहली बार रक्तदान किया।

यह जोड़ी है कमाल की
ब्लड डोनर्स क्लब की जागरूकता का ही कमाल है कि नूरपुर के एक पति व पत्नी अब हर समय जरूरत में तुरंत अपना खून उपलब्ध करवाते हैं। नूरपुर के दीपक गुप्ता खन्नी गांव में राजस्व विभाग में पटवारी हैं। उनकी पत्नी आरती गुप्ता नूरपुर में साइबर कैफे चलाती हैं। दीपक बताते हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह और उनकी पत्नी कभी ब्लड देंगे।

लेकिन नूरपुर ब्लड डोनर्स क्लब से जुड़ कर उनकी सोच बदली। क्लब से जुडऩे के बाद मैं और मेरी पत्नी एक साथ अब तक सात बार खून दे चुके हैं और हर बार हमें इमरजेंसी के समय ही ब्लड देना पड़ा। कई बार हम अपने कार्य में अधिक व्यस्त भी होते हैं, लेकिन जब भी हमें क्लब की तरफ से कोई कॉल आई, हम तुरंत अपनी गाड़ी में पठानकोट गए। दीपक बताते हैं कि इसमें उनकी पत्नी ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया है और जब भी रक्तदान करते हैं तो एक सकुन दिल को मिलता है।

 
'यह पूरी टीम का कार्य है। आज खुशी होती है कि नूरपुर ब्लड डोनर्स क्लब के सदस्यों जरूरत के समय काम आ रहे हैं। पठानकोट हो या टांडा हम जब भी जरूरत पड़ी क्लब के सदस्यों ने खून उपलब्ध करवाया। इसके लिए हम वाट्सऐप ग्रुप की मदद लेते हैं। इसके अलावा ब्लड ग्रुप के हिसाब से भी सदस्यों की सूची बनाई गई है। ताकि जरूरत के समय उस ब्लड ग्रुप के सदस्य से तुरंत बात की जा सके।'-राजीव पठानिया, अध्यक्ष, नूरपुर ब्लड डोनर्स क्लब।


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