सज गया मां श्री बज्रेश्वरी का घृतमंडल
मकर संक्रांति पर मां श्री बज्रेश्वरी देवी का घृतमंडल 30 क्विंटल मक्खन से सज गया है। घृतमंडल को सजाने का काम मंगलवार सुबह चार बजे तक चलता रहा।
कांगड़ा, जेएनएन। मकर संक्रांति पर मां श्री बज्रेश्वरी देवी का घृतमंडल 30 क्विंटल मक्खन से सज गया है। सोमवार शाम छह बजे स्नान व विशेष पूजा-अर्चना के बाद मां के घृतमंडल को सजाने का काम शुरू हुआ और यह कार्य सुबह चार बजे तक चलता रहा। इस दौरान कलाकारों ने भेंटों से मां की महिमा का गुणगान किया। कार्यक्रम में डीसी कांगड़ा संदीप शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत कर मां की पूजा-अर्चना की। उन्होंने बज्रेश्वरी मंदिर की वेबसाइट का शुभारंभ किया और कॉफी टेबल बुक भी लोकार्पित की।
मंदिर में रातभर मां की महिमा का गुणगान चलता रहा। मकर संक्रांति पर मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी लाइटों व फूलों से सजाया गया है। मंदिर अधिकारी नीलम राणा ने बताया कि 30 क्विंटल मक्खन से घृतमंडल को सजाया गया है। कार्यक्रम के दौरान लोकगायक राजेश कुमार हैप्पी ने बेहतरीन प्रस्तुति दी। रात्रि जागरण व भजन संध्या में शर्मा म्यूजिकल एंड कंपनी ने भजन कीर्तन किया। इसके अलावा शान, सौरभ शर्मा, राजेश बबलू, कुमार मुकेश, कुमार साहिल व नीरू चांदनी ने भी प्रस्तुतियां दीं। इस मौके पर एसडीएम कांगड़ा शशिपाल नेगी, टांडा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की अतिरिक्त निदेशक सुनयना, व्यापार मंडल के अध्यक्ष पंडित वेद प्रकाश शर्मा, बास्केटबॉल के प्रदेश अध्यक्ष मुनीष शर्मा, भाजपा मंडल अध्यक्ष रमेश बराड़, सतपाल सोनी, रमेश महेशी, राकेश मेहरा व राजेश राजा आदि मौजूद रहे।
एक क्लिक पर मिलेगी मंदिर की जानकारी
अब मां के इतिहास से संबंधित जानकारी, विशेष फोटोग्राफ व अन्य जानकारी देश-विदेश में बैठे भक्तों को एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाएगी। यह पहला मौका हैै जब मां से संबंधित जानकारियां वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगी। मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है। कार व बस से कैसे पहुंचा जा सकता है आदि जानकारियां एक क्लिक पर मिलेंगी। डीसी ने कॉफी टेबल बुक भी देर रात लांच की। इसमें मां से संबंधित जानकारी ङ्क्षप्रटेड सामग्री के रूप में उपलब्ध है। इसके अलावा बज्रेश्वरी मंदिर न्यास का लोगो भी लांच किया।
3 क्विंटल मक्खन से किया भोले बाबा का शृंगार
बैजनाथ : ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ में तीन क्विंटल मक्खन से भोले बाबा का शृंगार किया गया है। सोमवार दोपहर शुरू हुई यह प्रक्रिया रात 10 बजे पूरी की गई। इस उपलक्ष्य में मंदिर में दिनभर भक्तजनों का तांता लगा रहा। इस दौरान पहली बार मंदिर परिसर में फूलों से बनाई गई मूर्ति आकर्षण का केंद्र रही। सदियों से चली आ रही इस प्रथा की शुरुआत कब और किसने की है, इस पर लोगों के अलग-अलग विचार हैं। ऐसा माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर बर्फबारी के बाद ठंड बढऩे से भोलेनाथ यहां निवास करते हैं और उन्हें आराम देने के लिए शिवलिंग पर मक्खनरूपी लेप किया जाता है। कहते हैं कि पहले मंडी के राजा भीमसेन ने इस पर्व पर देसी घी चढ़ाया था। यह भी माना जाता है कि उन्होंने यहां स्थित शिवलिंग को मंडी स्थित भूतनाथ मंदिर ले जाने के लिए उखाडऩे की भूल की थी लेकिन वह वहीं अचेत हो गया था।
इसके बाद भगवान शिव व पार्वती ने राजा को दर्शन देकर कहा था कि यदि उसने शिवलिंग को कहीं ओर ले जाने का प्रयास किया तो उसका सर्वनाश हो जाएगा। इसी भूल को सुधारने के लिए राजा ने मकर संक्रांति पर शिवलिंग पर मक्खन का लेप लगाने की परंपरा शुरू की थी और आजतक इसका निर्वहन किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी सुरेंद्र आचार्य ने बताया कि मान्यता यह भी है कि भगवान भोलेनाथ व जालंधर दैत्य के बीच युद्ध हुआ था और भगवान ने दैत्य को मार दिया था। इस युद्ध में देवता घायल हो गए थे और इस कारण ही मक्खन रूपी लेप लगाया जाता है।