कागजों में नियम, धरातल में कचरा Kangra News
पंचरुखी बाजार में कचरा चारों ओर दिखना आम बात है। पंचायत और बाजार कमेटी के पास कूड़ा फेंकने के लिए स्थान ही चिह्नित नहीं है।
पंचरुखी, जेएनएन। पंचरुखी बाजार में कचरा चारों ओर दिखना आम बात है। पंचायत और बाजार कमेटी के पास कूड़ा फेंकने के लिए स्थान ही चिह्नित नहीं है। इस कारण पंचरुखी बाजार ही नहीं, बल्कि साथ सटी पंचायतों लदोह, गदियाड़ा व सलियाणा में भी स्वच्छता के दावे हवा हैं। हकीकत में स्वच्छता कहां है कोई नहीं जानता है। लोगों ने कचरे को फेंकने के लिए नालों को चिह्नित कर लिया है। चाहे वह पंचरुखी बाजार का नाला हो, लदोह नाला हो, बालू नाला हो या बटाहण नाला। हालांकि पंचायतों ने बाकायदा पैसा खर्च कर लोगों को जागरूक करने के लिए साइन बोर्ड लगाए हैं कि नदी-नालों में गंदगी न फेंके पर लोग फिर भी उसी स्थान पर गंदगी उड़ेल रहे हैं और बहते जल को दूषित कर रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी चुपचाप बैठे हैं। मानो सच में स्वच्छता के प्रति कोई पहल नहीं करना चाहता है।
पंचायत लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करती है। कुछ लोग रात को नालों में कूड़ा फेंकते हैं। पंचायत ने जुर्माने का प्रावधान भी किया है, लेकिन फिर भी लोग न सुधरें तो क्या करें। -चैन सिंह, पंचायत प्रधान लदोह।
लदोह पंचायत के नाले कचरे से अटे पड़े हैं। लोगों को जागरूक होकर पहल करनी होगी ताकि समय रहते संभल जाएं। -धर्म सिंह, निवासी लदोह।
पंचायत हो या बाजार। दुकानदारों और लोगों को कचरे फेंकने के लिए स्थान चिह्नित करना चाहिए। स्वच्छ तो सभी रहना चाहते है, लेकिन इसके लिए पहल करने की जरूरत है। -राजेश कमार।
सरकार के स्वच्छता अभियान कागजों तक हैं। हकीकत में सब बेकार है। सरकारी पैसा बेकार होकर रह गया है। चारों ओर नजर दौड़ाएं तो कूड़ा ही कूड़ा मिलेगा। -संतोष कुमार।
लोग इसी तरह नालों में कचरा फेंकते रहे तो पीने का पानी भी दूषित होकर जहर बन जाएगा। यह मानव जाति के लिए खतरे के संकेत हैं। -सुरेश कुमार।