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हरियाली के दुशमन लेंटाना का होगा खात्‍मा, आइआइटी विशेषज्ञों के सहयोग से बनाया जाएगा ईंधन

Fuel Make By Lantana हिमाचल को अब लेंटाना से निजात मिलेगी। इससे चीड़ की पत्तियों की तरह ईंधन बनेगा और हरियाली के दुश्मन का खात्मा किया जाएगा।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 03:39 PM (IST)
हरियाली के दुशमन लेंटाना का होगा खात्‍मा, आइआइटी विशेषज्ञों के सहयोग से बनाया जाएगा ईंधन
हरियाली के दुशमन लेंटाना का होगा खात्‍मा, आइआइटी विशेषज्ञों के सहयोग से बनाया जाएगा ईंधन

मंडी, हंसराज सैनी। हिमाचल को अब लेंटाना से निजात मिलेगी। इससे चीड़ की पत्तियों की तरह ईंधन बनेगा और हरियाली के दुश्मन का खात्मा किया जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मंडी इसमें वन विभाग का सहयोग करेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने लेंटाना के ईको फ्रेंडली उपयोग के लिए आइआइटी मंडी को करीब 25 लाख का प्रोजेक्ट सौंपा है। आइआइटी मंडी ने ही चीड़ की पत्तियों से ईंधन तैयार करने की तकनीक विकसित की थी।

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लेंटाना तेजी से वन भूमि को बंजर बना रहा है। 235491 हेक्टेयर वन व निजी भूमि में इसका प्रकोप है। यह सूखने के बाद जल्द आग पकड़ता है। गर्मियों में जब भी जंगलों में आग लगती है तो लेंटाना की झाडिय़ां आग को और भड़काती हैं। लेंटाना पक्षियों की विष्ठा और पशुओं के गोबर से फैलता है। इसका बीज जहां गिरता है वहां यह फैल जाता है।

क्या है लेंटाना

यह ऐसी कंटीली झाड़ी है जो कुछ साल पहले अमेरिका से भारत पहुंचा। यह लाल और पीले फूलों वाला कंटीली झाडिय़ों का झुंड होता है। पौधे के तौर पर तैयार होने के बाद इसकी टहनियां तेजी से विकसित होकर आसपास के पेड़-पौधों को अपनी चपेट में ले लेती है।

कैसे करती है नुकसान

लेंटाना से छोटे पौधे और घासनियां प्रभावित होती हैं। जहां यह प्रभाव जमाता है वहां न तो घास उगती है और न ही छोटे पौधे विकसित होते हैं। जहां लेंटाना प्रभावी हो जाता है वहां दूसरी कोई वनस्पति पैदा ही नहीं होती।

पहले अपनाई जाती थी यह तकनीक

लेंटाना को समाप्त करने के लिए कट रूट सिस्टम तकनीक अपनाई जा रही थी। यानी जहां भी यह पैदा होती है इसकी जड़ को भूमि के भीतर से काटा जाता है। करीब पांच से सात इंच की गहराई से काटने के बाद मिट्टी से ढका जाता है। इसकी कोई भी टहनी जमीन से ऊपर न रहे और टहनियों को काटकर नष्ट कर दिया जाता है। इसकी टहनियां अगर खुले में जमीन पर पड़ी रहें तो भी पौधे का रूप धारण कर लेती हैं। लेंटाना दोबारा न पनपे आइआइटी ने इसके लिए अपरूटर उपकरण ईजाद किया है। अब इस उपकरण की मदद से जड़ समेत उखाड़ा जाएगा। इससे दोबारा पनपने की संभावना न के बराबर रहेगी।

एक किलो ब्रिकेट्स से मिलेगी 5761 कैलोरी एनर्जी

लेंटाना को काटने के बाद उसे जंगल में ही जला दिया जाता था। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता था। अब लेंटाना की झाडिय़ों को उखाडऩे के बाद उन्हें एकत्र कर उद्योग तक पहुंचाया जाएगा। उद्योगों में चीड़ की पत्तियों की तरह पहले झाडिय़ों का पाउडर बना फिर उसके ब्रिकेट्स बनाए जाएंगे। लेंटाना के एक किलो ब्रिकेट्स से 5761 कैलोरी एनर्जी मिलेगी।

वन भूमि में लेंटाना की स्थिति

  • वन वृत्त,वन क्षेत्र (हेक्टेयेर में)
  • नाहन,21456
  • बिलासपुर,55941
  • मंडी,7900
  • हमीरपुर,12680
  • धर्मशाला,47403
  • शिमला,4060
  • रामपुर,00
  • चंबा,4631
  • कुल्लू,575

लेंटाना का प्रभाव

  • 25 प्रतिशत तक,53203 हेक्टेयर
  • 25 से 50,682244
  • 50 से 75,73778
  • 75 से 100,40285

लेंटाना अब समस्या नहीं रहेगा। चीड़ की पत्तियों की तरह इसका भी ईंधन बनेगा। लेंटाना को अब अपरूटर तकनीक से खत्म किया जाएगा। इससे पर्यावरण का संरक्षण भी होगा व वन भी सुरक्षित होंगे। -डॉ. आरती कश्यप, एसोसिएट प्रोफेसर आइआइटी मंडी।


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