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जसूर में फोरलेन संघर्ष समिति ने कहा भूमि अधिग्रहण मुआवजे को लेकर हो रही धोखे की नीति, हो उच्च स्तरीय जांच

फोरलेन संघर्ष समिति नूरपुर ने पठानकोट मंडी प्रस्तावित फोरलेन योजना को लेकर प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर बरती गई धोखे की नीति और अन्य तमाम प्रक्रियाओं की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 16 Jul 2021 11:38 AM (IST)Updated: Fri, 16 Jul 2021 11:38 AM (IST)
जसूर में फोरलेन संघर्ष समिति ने कहा भूमि अधिग्रहण मुआवजे को लेकर हो रही धोखे की नीति, हो उच्च स्तरीय जांच
फोरलेन संघर्ष समिति ने भूमि अधिग्रहण मुआवजे को लेकर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

जसूर, संवाद सहयोगी। फोरलेन संघर्ष समिति नूरपुर ने पठानकोट मंडी प्रस्तावित फोरलेन योजना को लेकर प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण और मुआवजे को लेकर बरती गई धोखे की नीति और अन्य तमाम प्रक्रियाओं की मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

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प्रभावितों की मार्ग किनारे की बहुमूल्य भूमि का जो मुआवजा दिया जा रहा है वह ऊंट के मुहं में जीरे के समान है। इससे प्रभावित लोग दूसरी जगह भी स्थापित ही नहीं हो पाएंगे। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि नूरपुर प्रशासन ने मुआवजा राशि का आंकलन निर्धारण करते समय तमाम कानूनों को ताक पर रख कर निर्धारण किया है। जसूर में हुई बैठक में समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि भूमि अधिग्रहण प्लान (एलएपी) ( डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) (डीपीआर) के मुताबिक भू अधिग्रहण नहीं किया गया।

जबकि कानून के मुताबिक डीपीआर द्वारा 64 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की जानी चाहिए थी। लेकिन प्रथम अवार्ड में नूरपुर प्रशासन ने चतुराई दिखाते हुए मात्र 37 हेक्टेयर भूमि की जान बूझ कर मांग की और अधिग्रहण किया गया जो कि संदेह के घेरे में है । दूसरा अवार्ड में 22 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। जबकि प्रथम अवार्ड और दूसरे अवार्ड के मूल्यांकन निर्धारण में अत्यधिक फर्क पाया गया। जिसमें तमाम प्रभावितों को प्रशासन की कारगुजारी पर संदेह जाहिर होता नजर आ रहा है पिक एंड चूज की नीति का अंदेशा साफ दिखाई दे रहा है।

समिति के तमाम सदस्यों ने नूरपुर प्रशासन द्वारा अपनाए जा रहे रवैये पर दुख जाहिर करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन ने आज तक डाली गई किसी भी आरटीआइ का ज़वाब देना भी मुनासिब नही समझा। एनएचएआइ और नूरपुर प्रशासन की मिलिभक्त का यह खेल अभी भी जारी है क्योंकि अभी तक प्रशासन ने भवन का मूल्यांकन निर्धारण करना उचित नहीं समझा क्योंकि शुरूआती दौर में प्रशासन के तत्कालीन उपायुक्त कांगड़ा संदीप कुमार द्वारा भवन का मुआवजा प्रति वर्ग मीटर 59000 रुपये प्रति मीटर निर्धारित किया था। लेकिन अभी तक प्रशासन ब राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण ने किसी भी प्रकार का प्रभावितों को भवन के मूल्यांकन निर्धारण का विवरण नहीं दिया जो कि पारदर्शिता के आधार पर सरकार द्वारा बहुत बड़ा धोखा है।

समिति ने मुख्यमंत्री से यह किया आग्रह

समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुदर्शन शर्मा, महासचिव विजय सिंह हीर, उपाध्यक्ष सुभाष पठानिया, प्रेस सचिव बलदेव पठानिया, एसएस गुलेरिया, जनक शर्मा, युगल किशोर चौहान, बीबी बक्शी, बनारसी दास, राजीव बोहरा, सरदार सिंह पठानिया, अरविंद गुलेरिया, ओम प्रकाश, राम चंद शास्त्री, राजन शर्मा ने संयुक्त बयान में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि वह प्रभावितों के हितों की रक्षा के लिए आगे आएं और उक्त योजना में नूरपुर प्रशासन द्वारा अपनाई गई तमाम प्रक्रियाओं की उच्च स्तरीय जांच करने के आदेश जारी करें ताकि दूध का दूध पानी का पानी सामने आए।


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