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फर्जी डिग्री मामला: विश्‍वविद्यालय मालिक के साथ एजेंट का था लिंक, जानिए किस तरह होता था लेनदेन

Fake Degree Case सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय के सबसे बड़े फर्जी डिग्री मामले की जांच में कई नई कडिय़ां जोड़ी गई हैं। मुख्य आरोपित का एजेंटों से लिंक रहता था। सूत्रों के अनुसार जम्मू के एजेंट मनु जम्वाल का लिंक जांच में साबित हो गया है।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 09:27 AM (IST)
फर्जी डिग्री मामला: विश्‍वविद्यालय मालिक के साथ एजेंट का था लिंक, जानिए किस तरह होता था लेनदेन
मानव भारती विश्वविद्यालय के सबसे बड़े फर्जी डिग्री मामले की जांच में कई नई कडिय़ां जोड़ी गई हैं।

शिमला, राज्‍य ब्‍यूरो। सोलन के सुल्तानपुर स्थित मानव भारती विश्वविद्यालय के सबसे बड़े फर्जी डिग्री मामले की जांच में कई नई कडिय़ां जोड़ी गई हैं। विवि मालिक एवं मुख्य आरोपित का एजेंटों से लिंक रहता था। सूत्रों के अनुसार जम्मू के एजेंट मनु जम्वाल का लिंक जांच में साबित हो गया है। इनके पास 35 लाख रुपये का सीधा संबंध राणा से निकला है। यह राशि सोलन से जम्मू कैसे पहुंची, इसकी गहन जांच हुई। आरोपित को इसी वर्ष फरवरी महीने के पहले सप्ताह में गिरफ्तार किया गया था। इस पर फर्जी डिग्री मामले में संलिप्त होने के आरोप हैं। घोटाले को अंजाम देने के लिए देश भर के राज्यों में एजेंटों का जाल बिछाया गया था। हालांकि अभी चुङ्क्षनदा ही गिरफ्तार हुए हैं।

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हो सकेगी कड़ी कार्रवाई

प्रदेश में फर्जी डिग्री मामले में अब कड़ी कार्रवाई हो सकेगी। एंटी मनी लांडिं्रग सेल के गठन से घोटालेबाज बच कर नहीं जा सकेंगे। इस सेल की कमान खुद राज्य पुलिस प्रमुख के हाथों में हैं। गंभीर और बड़े मामलों में पहले यह सेल जांच करेगा। इसके बाद इसके प्रवर्तन निदेशालय के हवाले किया जाएगा। ईडी संपत्ति भी अटैच कर सकेंगी। फर्जी डिग्री घोटाले में ऐसा हो चुका है।

मामला दर्ज किए एक साल पूरा, नहीं हुई गिरफ्तारी

फर्जी डिग्री मामले में शिमला के एपीजी विश्वविद्यालय प्रबंधन पर सीआइडी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। मामला दर्ज किए हुए एक साल पूरा हो गया है, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में है। ऐसा क्यों है, इस बारे में कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं। केस को सीआइडी की बड़ी एसआइटी के साथ भी मर्ज नहीं किया है। हालांकि मानव भारती और एपीजी पर आरोप एक साथ लगे थे। किसी अज्ञात व्यक्ति ने यूजीसी को पत्र लिखकर फर्जी डिग्रियां बांटने के संगीन आरोप लगाए थे। राज्य सरकार ने इन आरोपों पर सीआइडी जांच के आदेश दिए थे।

एपीजी विवि के कैंपस में तीन दिन तक लगातार दबिश भी दी गई थी। कई कंप्यूटर की हार्डडिस्क कब्जे में ली गई थीं। अभी तक इन हार्डडिस्क की फॉरेंसिक जांच पूरी नहीं हो पाई है। इससे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जांच कार्य पर ग्रहण तब से लगा जब विवि में सीबीआइ के पूर्व निदेशक ने आत्महत्या की थी। सीआइडी कथित फर्जी डिग्रियों को कब्जे में नहीं ले पाई है। इस मामले पर कोई फोकस नहीं किया जा रहा है।


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