कांगड़ा को झुनझुना या उपहार ..सिर्फ दो दिन इंतजार
दिनेश कटोच धर्मशाला केंद्रीय बजट पर कांगड़ा जिले के लोगों की निगाहें हैं। हर बार की तरह इस बार भी कुछ मिलने की आस है।
दिनेश कटोच, धर्मशाला
केंद्रीय बजट पर कांगड़ा जिले के लोगों की निगाहें हैं। हर बार की तरह सिर्फ झुनझुना ही मिलेगा या उपहार..इसके लिए सिर्फ दो दिन का ही इंतजार है। पठानकोट-जोगेंद्रनगर नेरोगेज रेललाइन व कांगड़ा एयरपोर्ट का विस्तार इन दोनों ही महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पंख लगने की उम्मीदें बजट से हैं।
नेरोगेज रेललाइन को ब्रॉडगेज करने के लिए सर्वे भी पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही हुआ था लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ब्रॉडगेज का मामला ठंडे बस्ते में पड़ने से नेरोगेज लाइन के ही सुधार और इसके विस्तार के लिए प्रारूप तैयार हुआ, लेकिन न तो बजट में प्रावधान हुआ और न ही उचित कदम उठाए गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन रेलमंत्री पीयूष गोयल व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने दिसंबर 2018 में पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेल ट्रैक का हवाई सर्वे किया था और संभावनाएं तलाशी थीं। इस दौरान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुपर फास्ट रेल भी चलाई गई पर इसका भी कोई खास लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है। इसके अलावा गगल स्थित कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार के लिए भी निगाहें बजट पर रहेंगी। प्रदेश का यही एकमात्र ऐसा एयरपोर्ट है, जिसके विस्तार की संभावनाएं हैं। साथ ही यह पर्यटन व सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। नौ के दशक में बना यह एयरपोर्ट अभी छोटा है और इसका विस्तार बजट के अभाव में लटका है। अगर इस बार बजट का कुछ प्रतिशत भी यहां खर्च होता है तो विस्तार भी तय है। विस्तार न होने से यहां अभी तक केवल छोटे जहाज ही उतर पाते हैं।
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दो साल में बना था 165 किलोमीटर लंबा रेल टै्रक
मंडी जिले के जोगेंद्रनगर में पावर प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए 1927 में रेल ट्रैक का निर्माण कार्य शुरू हुआ था और 1929 में 165 किलोमीटर ट्रैक का कार्य कर्नल बैट्टी के नेतृत्व में पूरा कर लिया था। शुरुआत में पावर प्रोजेक्ट तक मालगाड़ी चलाई गई और बाद में भाप इंजन से यात्री गाड़ी शुरू की गई थी। 1972 में भाप इंजन बंद कर डीजल इंजन चलाए गए। 2017 में ट्रैक को रेल मंत्रालय ने वर्ल्ड हेरिटेज बनाने की घोषणा की। बीते साल वर्ल्ड हेरिटेज में रेलमार्ग को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन अभी तक इसे केवल नेशनल हेरिटेज का ही दर्जा मिल पाया है।
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2013 में शुरू हुई थी एयरपोर्ट विस्तार की प्रक्रिया
एयरपोर्ट विस्तारीकरण की प्रक्रिया 2013 से शुरू हुई थी। इसके लिए कई बार सर्वेक्षण भी हो चुके हैं। एयरपोर्ट में बड़े विमानों को उतारने के लिए हवाई पट्टी को 1370 से बढ़ाकर 1920 मीटर बनाया जाना था। वर्तमान में 1370 मीटर लंबी और 30 मीटर चौड़ी हवाई पट्टी है। एयरपोर्ट में दो बड़े जहाजों को पार्क करने की व्यवस्था है। 12 मई, 2015 को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की छह सदस्यीय टीम यहां पहुंची थी। इसके बाद तय हुआ था कि सनौरां से कुठमां तक 2388 कनाल भूमि अधिग्रहित की जाएगी लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब प्रदेश सरकार ने एयरपोर्ट विस्तार के लिए सैद्धांतिक दी है। जिलावासियों को पांच जुलाई को पेश होने वाले केंद्रीय बजट से इन दोनों परियोजनाओं के लिए बजट मिलनी की उम्मीद जगी है।