प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने के फैसले को चुनौती देंगे कर्मचारी संगठन, उठाएंगे यह कदम
रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार कर्मचारी संगठन इस मामले में कोर्ट का दरवाजा जल्द खटखटाएंगे।
शिमला, जेएनएन। प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार कर्मचारी संगठन इस मामले में कोर्ट का दरवाजा जल्द खटखटाएंगे। वे हाईकोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर करेंगे। इस संबंध में वे कानूनविदों से सलाह कर रहे हैं। याचिका में हरियाणा का जिक्र किया जाएगा। ओडिशा के कानूनी पहलुओं का भी उल्लेख होगा। प्रदेश सरकार पूर्व धूमल सरकार की तर्ज पर प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने का निर्णय ले चुकी है। यह फैसला 26 जुलाई से लागू किया गया। उस दौरान ट्रिब्यूनल में करीब 21 हजार केस विचाराधीन थे। राज्य सरकार ने इन्हें सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए मानसून सत्र में विधेयक प्रस्तुत किया।
विपक्ष के विरोध के बीच इसे सदन में पारित किया गया। विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं ने विधानसभा में कहा था कि हरियाणा में भाजपा की सरकार है और वहां ट्रिब्यूनल नया खोला गया है। ऐसे में हिमाचल में इसे बंद करने की बजाय मजबूत किया जाए। सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। सत्ता पक्ष का दावा था कि छोटे प्रदेश की अर्थव्यवस्था इसकी अनुमति नहीं देती है। इस संबंध में 29 दिसंबर 2014 की केंद्र सरकार की अधिसूचना रद हो गई थी। हालांकि प्रदेश के कर्मचारी इस मामले में बंटे हुए हैं। उनकी एक राय नहीं है। कई कर्मचारी संगठन सरकार के पक्ष में कूद गए हैं।
प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद करने की मांग कर्मचारियों की ही रही है। इस मुद्दे को पहले परिसंघ और बाद में महासंघ ने प्रमुखता से उठाया। राज्य सरकार ने हमारी मांग मानी और सही वक्त में सही फैसला लिया है। -विनोद कुमार, अध्यक्ष, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ, विनोद गुट।
ट्रिब्यूनल को बंद करने का फैसला गलत है। इससे कर्मचारियों को न्याय के लिए हाईकोर्ट जाना होगा। -एसएस जोगटा, पूर्व सरकार से मान्यता प्राप्त महासंघ के अध्यक्ष।