अब भूकंप के झटकाें से होगा कम नुकसान, संवेदनशील क्षेत्रों में खास तकनीक से बनेंगे भूंकपरोधी घर; पढ़ें खबर
Earthquake resistant Home जोन पांच में कांगड़ा और चार में आते जिला शिमला में अब वैज्ञानिक तरीके से भूकंपरोधी घरों का निर्माण होगा।
धर्मशाला, जेएनएन। जोन पांच में कांगड़ा और चार में आते जिला शिमला में अब वैज्ञानिक तरीके से भूकंपरोधी घरों का निर्माण होगा। इसके लिए भूगर्भ वैज्ञानिक एवं हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के इन्वायरनमेंट साइंस स्कूल के डीन डॉ. अबरीश महाजन ने कांगड़ा के बाद अब जिला शिमला की मिट्टी का अध्ययन शुरू किया है। इन दिनों शिमला के विभिन्न क्षेत्रों में माइक्रो जोनेशन का काम चल रहा है। दो साल तक माइक्रो जोनेशन के आंकड़ों के अध्ययन के बाद रिपोर्ट केंद्र व प्रदेश सरकार को सौंपी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर ही आने वाले समय में लोगों को नया घर बनाने से पूर्व बताया जाएगा कि उन्हें किस तरीके से आशियाने का निर्माण करना है।
कांगड़ा में हो चुका है काम
डॉ. महाजन कांगड़ा में माइक्रो जोनेशन का काम पूरा का चुके हैं। उन्होंने मैक्लोडगंज, बगली, शाहपुर, धर्मशाला, दाड़ी व अन्य स्थानों की भूमि का निरीक्षण कर आंकड़ों का अध्ययन किया है। इन दिनों शिमला सदर, संजौली, खलीनी और अन्य क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है।
कैसे होता है कार्य
माइक्रो जोनेशन के लिए संबंधित क्षेत्र की मिट्टी का अध्ययन किया जाता है। इस दौरान यह जांच की जाती है कि क्षेत्र की मिट्टी सघन है, रेतीली है या फिर पहाड़ी वाली है। अगर भूकंप आता है तो इसके झटकों से संबंधित क्षेत्र के भीतर मिट्टी में कितना प्रभाव होता है।
भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है कांगड़ा
भूकंप की दृष्टि से हिमालयन रेंज का सबसे संवेदनशील क्षेत्र जिला कांगड़ा जोन पांच में आता है। यानी अगर पांच की तीव्रता से अधिक का भूकंप आता है तो तबाही निश्चित है। पिछले कुछ साल से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। ऐसा नहीं की यह कोई नई बात है। ऐसा लगातार होता है, लेकिन हर बार 1905 की वह काली सुबह याद दिला देती है, जिसके बारे में शायद ही किसी कांगड़ा के व्यक्ति को पता न हो। 4 अप्रैल, 1905 को कांगड़ा जिले में भूकंप आया था और इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.8 मापी गई थी। उस समय मरने वालों का आंकड़ा 19800 पहुंचा था और एक लाख भवन तबाह हो गए थे।
पिछले साल 15 बार हिली थी धरती
पिछले साल हिमाचल में छोटे-बड़े करीब 15 बार भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। इनमें सभी की तीव्रता अधिकतम 3 से ज्यादा नहीं रही। चार बार केंद्र जिला चंबा, तीन दफा कांगड़ा व दो बार मंडी मुख्य रूप से रहा है। कांगड़ा में पिछले दो बार हुए भूकंप के झटकों की तीव्रता 3 तक रही है। इसमें सितंबर के अंतिम सप्ताह आया भूकंप भी शामिल है।
क्या है टेक्टोनिक प्लेटें, क्यों आता है भूकंप
टेक्टोनिक प्लेटें पृथ्वी की बाहरी सतह और ऊपर की ओर के टुकड़े होते हैं और इन्हें लिथोस्फीयर कहा जाता है। प्लेटें करीब 100 किमी मोटी होती हैं और ये दो प्रकार की होती हैं। पहली समुद्री क्रस्ट और दूसरी कॉन्टिनेंटल क्रस्ट। प्लेटें स्थलमंडल के नीचे स्थित दुर्बलतामंडल के ऊपर तैर रही हैं। इसके घूमने की गति और टूटने की प्रवृत्ति से ही भूंकप होता है। जिस क्षेत्र में प्लेटों की गति कम होती है वहां भूंकप की आशंका बढ़ जाती है। भूकंप की दृष्टि से संवदेनशील क्षेत्र जम्मू-कश्मीर का सांबा, हिमाचल का कांगड़ा, धर्मशाला, मैक्लोडगंज, मंडी, कुल्लू, चंबा, सोलन, उत्तराखंड व नेपाल है।
क्या है निपटने की तैयारी
भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए समझदारी ही सबसे बड़ा हथियार है। इसके लिए स्कूल स्तर से समय-समय पर आपदा प्रबंधन के शिविर लगाकर इस दौरान सुरक्षित रहने के तरीके बताए जाते हैं और कई बार मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया जाता है।
क्या है तकनीकी प्रबंध
कश्मीर से लेकर नेपाल तक हिमालयन रेंज की टेक्टोनिक प्लेटों में क्या बदलाव आ रहे हैं। कहां इनकी हलचल ज्यादा या कम हुई हैं। प्लेटों की गति में कमी से कभी भी हिमालयन रेंज में बड़ा भूकंप आ सकता है। इसके लिए हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंङ्क्षसग (आइआइआरएस) देहरादून ने नूरपुर और पालमपुर के तहत जिया गांव में ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम स्थापित किया है। नूरपुर व जिया में 30 लाख रुपये की मशीनें लगी हैं। मशीनें लगाने का उद्देश्य टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल का पता लगाना है।
शिमला में यहां किया जा रहा काम
टुटू, डेंडा, कुसुम्पटी, पथांघाटी, नववहार, संजौली, विकास नगर, चमियाणा, मल्याणा, भट्टाकुफर, स्ट्रोबरी हिल, छोटा शिमला, जाखू, ढिंगू माता मंदिर व मुख्यमंत्री आवास।
जिला कांगड़ा सबसे संवेदनशील
इन दिनों शिमला में माइक्रो जोनेशन का काम चल रहा है। काम पूरा होने के बाद यहां वैज्ञानिक तरीके से भूकंपरोधी घर बनाए जाएंगे। भूकंप की दृष्टि से हिमालयन रेंज का सबसे संवदेनशील क्षेत्र जिला कांगड़ा है। प्राकृतिक आपदा में सुरक्षा ही बचाव करती है। क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण ही भूकंप आ रहे हैं। -डॉ. अंबरीश महाजन, भूगर्भ विज्ञानी।