रास्ता बंद होने से चार किलोमीटर पैदल चली छात्राएं, नहीं झुकने दिया तिरंगा Kangra News
तिरंगा हमारी आन बान शान है। यही कारण है कि जब भी देश या फिर तिरंगे की बात होती है तो एक अलग जनून पैदा होता है। डीएवी स्कूल बाघनी (नूरपुर) की कुछ छात्राओं ने भी ऐसा ही कर दिखाया है जिसकी हर ओर तारीफ हो रही है।
बैजनाथ, मुनीष दीक्षित। तिरंगा हमारी आन बान शान है। यही कारण है कि जब भी देश या फिर तिरंगे की बात होती है तो एक अलग जनून पैदा होता है। डीएवी स्कूल बाघनी (नूरपुर) की कुछ छात्राओं ने भी ऐसा ही कर दिखाया है, जिसकी हर ओर तारीफ हो रही है। डीएवी स्कूल बाघनी में काफी विद्यार्थी करीब 30 किलोमीटर दूर चुवाड़ी से बस के माध्यम से पढ़ने आते हैं। शुक्रवार को वापसी के दौरान लाहडू के समीप सड़क पर ल्हासा गिरने से मार्ग अवरुद्ध था। ऐसे में बच्चों को पैदल ही घरों की तरफ जाना पड़ा। इस दौरान स्कूल की छात्राओं की एक टोली इसमें नौवीं में पढ़ने वाली जिया खान, जोया खान, आठवीं में पढ़ने वाली श्रेया, स्तुति तथा जमा दो की भानवी भी एक पहाड़ी दुर्गम रास्ते से घर की तरफ जा रही थी। इनमें जिया खान स्कूल से राष्ट्रीय ध्वज घर ले जा रही थी।
बस से ही उसने राष्ट्रीय ध्वज को हाथ में लहराते हुए पकड़ा था। जब ये छात्राएं पैदल पहाड़ी रास्ते से जा रही थी तो वहां पैदल चलना भी आसान नहीं था। बावजूद इसके इन छात्राओं ने राष्ट्रीय ध्वज को हाथ में पकड़े रखा। करीब चार किलोमीटर तक नाले, पत्थरों व पहाड़ी से होते हुए भी अपने सहारे की परवाह किए बिना राष्ट्रीय ध्वज को कहीं भी झुकने नहीं दिया।
जिया खान ने बताया कि तिरंगा हमारी शान है। ऐसे में सभी छात्राओं ने तिरंगे को किसी भी सूरत में अपनी इस यात्रा के दौरान झुकने नहीं देने का प्रण लिया था और इसे पूरा भी कर दिखाया। उनके पीछे चल रही जिया व जोया की माता फरजाना सुलताना जो लाहडू स्कूल में अध्यापिका हैं तथा एक अन्य अध्यापक जगभूषण ने इस नजारे को कैमरे में कैद किया, साथ ही बच्चियों को हौसला भी दिया। जिया खान ने इस दौरान सबसे अधिक देर तक अकेले ही राष्ट्रीय ध्वज को संभाले रखा। जिया ने बताया कि उसका सपना है कि वह एवरेस्ट को फतह करे और वहां तिरंगा फहराए। जिया व जोया खान के पिता सलीम आजम बैजनाथ में एसडीएम हैं।