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खेतीबाड़ी की आड़ में चलाया था नशे का कारोबार, चार साल बाद पर्दाफाश Kangra News

मीरथल और कांगड़ा जिले के मंड क्षेत्र में खेतीबाड़ी की आड़ में नशा तस्करी का धंधा सात साल से चल रहा था।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 03:28 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 03:28 PM (IST)
खेतीबाड़ी की आड़ में चलाया था नशे का कारोबार, चार साल बाद पर्दाफाश Kangra News

डमटाल, जेएनएन। मीरथल और कांगड़ा जिले के मंड क्षेत्र में खेतीबाड़ी की आड़ में नशा तस्करी का धंधा सात साल से चल रहा था। आरोपित परिवार सात साल पहले तरनतारन से आकर यहां बसा था। मकान बनाते ही इन्होंने लोहे की शटरिंग का काम शुरू कर दिया। बाद में मीरथल से करीब छह किलोमीटर दूर कांगड़ा जिले के मंड क्षेत्र में फार्म हाउस बनाया। कुछ ही साल में वहां करीब 60 किले जमीन भी खरीद ली। लोगों को बताने के लिए परिवार खेतीबाड़ी का दिखावा करता था।

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फरार आरोपित जर्मनजीत को काबू करने के लिए पुलिस टीम सोमवार को भी घर और फार्म हाउस के बाहर डेरा डाले रही। कुछ ग्रामीणों को थाना नंगलभूर बुलाकर आरोपित भाइयों के बारे में जानकारी जुटाई गई। आरोपितों के घर और फार्म हाउस में किन लोगों का आना-जाना होता था इसकी छानबीन की जा रही है। उधर, डीएसपी सिटी राजेंद्र मन्हास का कहना है कि यह एसटीएफ का ऑपरेशन था। उन्हें इस बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं है। पठानकोट पुलिस ने सहयोग के लिए जगह-जगह नाकाबंदी की थी।

नशे की ओवरडोज से हो चुकी है 12 की मौत

नशे की ओवरडोज ने इस साल अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। हैरानी की बात है कि 11 मौतें कांगड़ा जिले के उपमंडल नूरपुर में हुई हैं। सिर्फ एक मामला उपमंडल बैजनाथ का है। मरने वालों में 90 फीसद पंजाब के लोग हैं। जून में भदरोआ में हेरोइन का सेवन करने वाले तीन युवाओं को डमटाल पुलिस ने हिरासत में लिया था और उनके खिलाफ गैरइरादत हत्या का मामला दर्ज किया है।

अमीरों का नशा हेरोइन

नूरपुर उपमंडल में हेरोइन तस्करी सबसे ज्यादा की जाती है। बड़ी बात तो यह है कि हेरोइन सामान्य लोगों की पहुंच से दूर है, क्योंकि यह बहुत कीमती है। नशा तस्करों के मापदंडों के अनुसार, अच्छी गुणवत्ता की हेरोइन नौ से 10 हजार रुपये प्रति ग्राम (एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम) मिलती है। सबसे खराब गुणवत्ता वाली 15 से 20 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम बिक रही है।

ये हैं नशा तस्करों के मुख्य अड्डे

मीरथल, मीलवां, छन्नी, भदरोआ, धक्का कॉलोनी, बेली महंता, समोता, ठाकुरद्वारा, बरोटा, टिब्बी व बाईं टांडा। यहां पर तस्कर नशे की खेप को छिपाकर रखते हैं।

ग्रामीणों को नहीं लगने दी भनक : सरपंच

मीरथल के सरपंच सुरजीत कुमार का कहना है कि इस परिवार ने कभी लोगों को नशा तस्करी की भनक भी नहीं लगने दी। वह खुद को तरनतारन का संपन्न जट्ट परिवार बताते थे। परिवार गांव के लोगों से ज्यादा बोलचाल की बजाए अपने कारोबार में व्यस्त रहता था।

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