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सहानुभूति और सरकार के बीच डा. राजन, भाजपा को बढ़त कांग्रेस को बराबरी का अवसर

फतेहपुर उपचुनाव को लेकर अब घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ेंगी। हालांकि उपचुनाव को लेकर पहले से ही तैयारियां राजनीतिक दलाें द्वारा दी गई गई थीं लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इन्हें काफी समय से टाला जा रहा था।

By Richa RanaEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 03:23 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 03:23 PM (IST)
सहानुभूति और सरकार के बीच डा. राजन, भाजपा को बढ़त कांग्रेस को बराबरी का अवसर
फतेहपुर उपचुनाव को लेकर अब घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ेंगी।

धर्मशाला, जागरण संवाददाता। फतेहपुर उपचुनाव को लेकर अब घोषणा के बाद राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ेंगी। हालांकि उपचुनाव को लेकर पहले से ही तैयारियां राजनीतिक दलाें द्वारा दी गई गई थीं, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इन्हें काफी समय से टाला जा रहा था। फतेहपुर में सहानुभूति और सरकार के बीच डा. राजन की भी जंग होगी। स्वर्गीय सुजान सिंह के बेटे भवानी पठनिया को कांग्रेस सहानुभूति के सहारे चुनाव मैदान में उतार रही है, हालांकि पहले उसके नाम पर इक्का दुक्का कांग्रेसियों के विरोध में जताया, लेकिन अब सभी शांत होकर एवं एकजुट होकर चलते देख रहे हैं।

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कांग्रेस ने भी यहां सबको साथ लेकर चलने के लिए सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा को कमान सौंपी हुई है।

वहीं प्रदेश सरकार एवं भाजपा यहां पूर्व राज्य सभा सांसद के नाम पर दाव खेल रही है। हालांकि उसके समकक्ष बलदेव ठाकुर भी थे, लेकिन भाजपा प्रदेश प्रभारी अविनश राय खन्ना, उप-चुनाव प्रभारी मंत्री बिक्रम ठाकुर व सह-प्रभारी मंत्री राकेश पठानिया ने चुनावी मंत्रणा के बाद उन्हें फिलहाल शांत कर दिया है और पार्टी के साथ चला दिया है। कांग्रेस व भाजपा के बीच अभी दो ब़ड़े चेहरे सामने भी हैं तो इन्हेें टक्कर देने के लिए पूर्व में मंत्री रहे डा. राजन सुशांत भी उपचुनाव में उतरने को लेकर पूरी तैयारियां किए हुए हैं। अभी तक कांग्रेस व भाजपा की ओर से चेहरे तो तय नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से उपचनुाव को लेकर पहने से ही राजनीतिक गतिविधियां चली हुई हैं, उससे यह जाहिर भी है कि कांग्रेस से भवानी व भाजपा से कृपाल परमार के नाम पर ही अंतिम मोहर भी लगेगी।

कांग्रेस व भाजपा से यह दोनोें ही नाम अपने-अपने हाईकमान को भेजे भी गए हैं। पर बड़ी बात यह भी है कि इन नामों के अतिरिक्त दोनों ही दलों से टिकट के कई ओर चाह्वान भी हैं। जो कि विभिन्न मंचों पर उन्हें टिकट देने की मांग को उठा चुके हैं। और अगर पार्टियां इन्हें नहीं मना पाती हैं तो यह किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। फतेहपुर में भाजपा व कांग्रेस इस नुकसान से बचने के लिए कई बैठकें भर कर चुकी है, और रूठों मनाने का दौर भी चल चुका है।पर टिकट के चाह्वान पार्टी हाईकमान की बात मानते हैं या नहीं नामांकनों के दौरान ही पता चलेगा कि कौन अपने अधिकारिक प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरता है।


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