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डॉक्‍टर एचके चौधरी बने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के 13 वें नियमित कुलपति

हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के13 वें नियमित कुलपति के तौर पर डॉक्‍टर एचके चौधरी की नियुक्ति हुई है।

By Richa RanaEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 03:32 PM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 03:32 PM (IST)
डॉक्‍टर एचके चौधरी बने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के 13 वें नियमित कुलपति

पालमपुर,जेएनएन।हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के13 वें नियमित कुलपति के तौर पर डॉक्‍टर एचके चौधरी की नियुक्ति हुई है। डॉक्‍टर एचके चौधरी हिमाचल प्रदेष कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों में से एक है और वर्तमान में इनके पास अनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग का कार्यभार है। अनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग के 13 नियमित विभागाध्यक्ष बनने के बाद उनके लिए 13 नंबर फिर से भाग्यशाली साबित हुआ है और वह अब विश्‍वविद्यालय के सर्वोच्च पद पर बतौर मुखिया अपनी सेवाएं प्रदान करेंगें।

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डॉक्‍टर एचके चौधरी ऐसे दूसरे कुलपति है जो विश्‍वविद्यालय में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे और अब कुलपति का कार्यभार संभालेगें। इससे विश्‍वविद्यालय  में कार्यरत डॉक्‍टर केके कटोच ने 2013 से 2016 तक कुलपति का कार्यभार संभाला था।

मूलत जिला मंडी के सुंदरनगर के महादेव कस्बे से संबंध रखने वाले डॉक्‍टर एचके चौधरी को इस मर्तबा कुलपति पद का तगड़ा दावेदार माना जा रहा था। गेंहू पर व्यापक शोध करने के लिए उन्हें जाना जाता है और जापान में भी उन्होंने अपनी सेवाएं प्रदान की है। चौधरी को कुलपति बनाए जाने के बाद विश्‍वविद्यालय के कर्मियों में प्रसन्नता की लहर है।

 डॉक्‍टर एचके चौधरी से पहले विश्‍वविद्यालय से संबंध रखने वाले डॉक्‍टर केके कटोच और डॉक्‍टर एसके शर्मा भी कुलपति रहें है। डॉक्‍टर एसके शर्मा जहां आधारभूत विज्ञान महाविद्यालय में कार्यरत थे और आइसीएआर में प्रतिनियुक्ति पर गए थे। वहां पर सेवाएं देते हुए डॉक्‍टर शर्मा ने कुलपति पद के लिए आवेदन किया था और वह संस्थान के पहले ऐसे  कुलपति बने थे जो संस्थान में विशेष थे। उसके बाद डॉक्‍टर केके कटोच कुलपति बनें जिनके पास विस्तार शिक्षा निदेषक जैसा महत्वपूर्ण पद रहा था। हालांकि विश्‍वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद कुलपति बने डॉक्‍टर अशोक सरियाल भी पालमपुर से ही थे मगर उन्होंने केवल पढ़ाई ही यहां पर की थी उनकी सेवाएं पड़ोसी राज्य हरियाणा में अधिक रहीं।


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