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धर्मशाला नगर न‍िगम चुनाव: अपनी इस रणनीत‍ि से तख्‍त बचाने में कामयाब रही कांग्रेस

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांगड़ा में ज‍िला पर‍िषद चुनाव के बाद अब धर्मशाला नगर न‍िगम चुनाव में भी झटका लगा है। यहां कांग्रेस की रणनीत‍ि फ‍िर से काम कर गई।

By Munish Kumar DixitEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 03:44 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 10:38 AM (IST)
धर्मशाला नगर न‍िगम चुनाव: अपनी इस रणनीत‍ि से तख्‍त बचाने में कामयाब रही कांग्रेस

दिनेश कटोच , धर्मशाला। नगर निगम के महापौर व उपमहापौर के चुनावों में जो आम सहमति की बात पार्षदों के बीच चली हुई थी, उसी तर्ज पर चलते हुए पार्षदों ने इन दोनों ही पदों के लिए अपनी एक राय भी बनाई तो उसे साकार रूप देते हुए अमलीजामा भी पहनाया। भले ही इन ही दोनों पदों के लिए आम सहमति बनी हो लेकिन एक बात तो साफ रही कि भाजपा को महापौर व उपमहापौर के पदों के चुनावों में शिकस्‍त मिली तो कांग्रेस का जलबा एक बार फिर से बरकरार रहा। कांग्रेस को इस चुनाव के ल‍िए बनाई गई अपनी रणनीत‍ि ही काम आ गई। इस चुनाव की सफलता के ल‍िए खुद यहां कांग्रेस नेता सुधीर शर्मा रणनीत‍ि बना रहे थे।

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बह‍िष्‍कार भी हुआ क्रास वोट‍िंग भी

हालांकि उपमहापौर पद के लिए कांग्रेस के पार्षदों के बीच क्रॉस वोटिंग भी हुई लेकिन बात सहमति की थी तो उपमहापौर पद के लिए कांग्रेस प्रत्याशी को दरकिनार खुद कांग्रेसी पार्षदों ने भाजपा से संबधित पार्षद ओंकार नैहरिया को यह जिम्मेवारी सौंपी। इस आम सहमति में भले ही कांग्रेस का उपमहापौर का प्रत्याशी हारा लेकिन उसका पलड़ा फिर भी भारी ही रहा। जबकि नगर निगम में तीन की संख्या वाले भाजपा पार्षदों में से दो ने चुनावी प्रक्रिया का बहिष्कार कर पहले से ही अपनी हार मान ली।

भाजपा को कांगड़ा में दूसरा झटका

लोकसभा चुनाव से पूर्व एक ही माह के अंतराल के बाद भाजपा को जिला कांगड़ा में यह दूसरा बड़ा झटका भी लगा है। इससे पूर्व जिला परिषद के उपाध्यक्ष पद के उपचुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी थी अाैर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी उपाध्यक्ष बने थे। जिला परिषद के चुनावों के बाद छह अक्टूबर को नगर निगम के महापौर व उपमहापौर के पदों के लिए चुनावों की अधिसूचना जारी होने के बाद कांग्रेस व भाजपा के बीच एक बार फिर से चुनाव जंग भी इन पदों को हथियान के लिए शुरू हुई थी। पूर्व शहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा व खाद्य आपूर्त‍ि मंत्री किशन कपूर के बीच सीधी जंग भी महापौर व उपमहापौर के चुनावों को लेकर थी।

कांग्रेस की लड़ाई में भी कांग्रेस को जीत

जीत का सेहरा भले ही कांग्रेस के सिर पर सजा हो लेकिन कांग्रेस में भी एक धड़ा ऐसा था जो कि उपमहापौर के पद पर अपना प्रत्याशी बिठाना चाहता था लेकिन राजनीति की बिछी इस बिसात में शह व मात का खेल खेलते हुए कांग्रेस ने ही बाजी मारी। क्योंकि भाजपा से संबधित ओंकार नैहरिया को कांग्रेस से संबधित पार्षदों का सहयोग मिला और वह और उन्हें उपमहापौर की जिम्मेवारी दिलवाकर अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया गया जबकि भाजपा के दो पार्षदों इन चुनावों से अपनी कन्नी ही काटे रखी। अब नई जिम्मेवारी के साथ महापौर व उपहापौर नगर निगम के पदों पर बैठेंगे तो उनके समक्ष कई चुनौतियां भी होंगी। लोकसभा चुनावों से पूर्व भाजपा को मिली लगातार दूसरी हार उसके लिए भी कोई शुभ संकेत नहीं है तो उपमहापौर के पद को लेकर भी कांग्रेस में भी सामने आई आपसी गुटबाजी उसके लिए भी चिंता विषय है।

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