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Curfew: दो सगे भाइयों के होते भी मुखाग्नि के लिए नहीं मिलेगा अपनों का साथ, गांव वाले ही करेंगे अंतिम संस्कार

Curfew Updates बदनसीबी इतनी की चिता को मुखाग्नि भी कोई अपना नहीं बल्कि गांववाले ही देंगे।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 09:18 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 04:42 PM (IST)
Curfew: दो सगे भाइयों के होते भी मुखाग्नि के लिए नहीं मिलेगा अपनों का साथ, गांव वाले ही करेंगे अंतिम संस्कार
Curfew: दो सगे भाइयों के होते भी मुखाग्नि के लिए नहीं मिलेगा अपनों का साथ, गांव वाले ही करेंगे अंतिम संस्कार

भवारना, शिवालिक नरयाल। रविवार रात कोरोना से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रात 9 बजे नौ मिनट के लिए देश दीये व मोमबत्ती जला रहा था, वहीं कुछ हिस्सों में लोगों ने पटाखे भी फोड़े। इन्हीं पटाखों की आवाज के बीच घराना पंचायत के अलसा गांव में एक दीया हमेशा के लिए बुझ गया। इस पर बदनसीबी इतनी की चिता को मुखाग्नि भी कोई अपना नहीं, बल्कि गांववाले ही देंगे।

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यह दर्दनाक वाकया उपमंडल धीरा की पंचायत घराणा के गांव अलसा में पेश आया। यहां 36 साल के युवक राजकुमार उर्फ बंटू का शव कमरे में मिला है। बंटू के माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं। तीन भाइयों में एक की मौत हो चुकी है जबकि दूसरा दिल्ली में नौकरी करता है। तीसरे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। बड़ा भाई कफ्यरू के कारण गांव नहीं आ सकता है। इस वजह से अंतिम संस्कार का जिम्मा गांववालों ने ही उठाया है।

रविवार को भी बंटू कफ्यरू नियमों के अनुसार कमरे में ही था। पड़ोसियों को उसके व्यवहार से कभी ऐसा नहीं लगा कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा। रविवार रात अलसा गांव के सभी लोग घरों में ही थे। 9 बजे 9 मिनट तक लोगों ने दीये जलाए और कुछेक घरों से पटाखों के फूटने की आवाजें भी सुनाई दे रही थीं। शायद यही वजह रही कि बंटू के खुद को गोली मारने की आवाज को भी लोगों ने पटाखों की ही आवाज समझकर अनसुना कर दिया और चुपचाप सो गए। पुलिस ने उसके कमरे से बंदूक, मोबाइल फोन व अन्य जरूरी सामान बरामद कर लिया है।

घराणा पंचायत प्रधान प्रताप सिंह का कहना है बंटू की मौत से गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। भाई को दिल्ली में सूचना दे दी है लेकिन कफ्यरू के कारण वह गांव में नहीं आ सकता है। फैसला लिया है कि परिवार का कोई सदस्य न होने के कारण पंचायत के बाशिंदे ही अंतिम संस्कार करेंगे।


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