डोल रही धरती से कांप रही रूह, 14 माह में 25 बार आए भूकंप के झटके; जानिए भू विज्ञानियों का तर्क
Earthquake in Himachal हिमाचल प्रदेश में दो दिन में ही चार बार भूकंप आने से लोगों में दहशत बनी हुई है।
शिमला, जेएनएन। हिमाचल प्रदेश में दो दिन में ही चार बार भूकंप आने से लोगों में दहशत बनी हुई है। हालांकि भू विज्ञानियों का मानना है कि भूकंप के छोटे झटके राहत देने वाले होते हैं, क्योंकि यह बड़े भूकंप के आने की संभावना को काफी हद तक कम करते हैं। हिमाचल प्रदेश भूकंप की दृष्टि से जोन चार और पांच में आता है, जो अतिसंवेदनशील माना जाता है। यही वजह है कि जब भी हिमाचल की धरती कांपती है तो लोग सहम जाते हैं।
चंबा में शुक्रवार को भूकंप के तीन झटके महसूस किए गए। वहीं शनिवार को तड़के 4:41 बजे फिर से धरती हिली। यह झटके लाहुल स्पीति और कुल्लू जिले में आए। इससे कहीं से कोई जानी नुकसान की सूचना नहीं है, लेकिन लोगों में डर अवश्य बना हुआ है। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.2 मापी गई, जिसका केंद्र हिमाचल से सटे जम्म-कश्मीर की सीमा पर दस किलोमीटर जमीन के भीतर था। इसके अलावा चंबा में बुधवार सुबह करीब आठ बजे धरती हिली थी।
कांगड़ा 1905 में हुए भूकंप के बाद मची तबाही की तस्वीर।
प्रदेश में 14 माह के दौरान करीब 25 भूकंप आ चुके हैं। विज्ञानियों के अनुसार पूरी धरती टेक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है और इसके नीचे तरल पदार्थ (लावा) है। यह प्लेटें धरातल से करीब 30 से 50 किलोमीटर तक नीचे स्थित हैं। इन प्लेटों के आपस में टकराने से जो ऊर्जा निकलती है उससे कंपन पैदा होती है। इस कंपन से धरती हिलने लगती है, जिसे भूकंप कहा जाता है। कई बार इसकी तीव्रता ज्यादा होने से धरती पर व्यापक नुकसान होता है।
हर वर्ष 10 से 16 हजार भूकंप के झटके
विश्व में हर वर्ष 10 से 16 हजार भूकंप आते हैं। सबसे ज्यादा भूकंप 4 से 4.9 की तीव्रता वाले आते हैं। इनकी संख्या 10 हजार से अधिक होती है। वहीं 5 से 5.9 तीव्रता के दो हजार तक के भूकंप हर वर्ष आते हैं। भूकंप की तीव्रता में 6 से 6.9 के 150 से 200, जबकि 7 से 7.9 के 15 से 20 भूकंप हर वर्ष आते हैं।
प्रदेश में कब-कब कांपी धरती
- तिथि,स्थान,रिक्टर पैमाना, नुकसान
- 4 अप्रैल 1905,कागड़ा,7.8, 20 हजार लोगों की मौत
- 1 जून 1945,चंबा,6.5, आंकड़े उपलब्ध नहीं
- 19 जनवरी 1975,किन्नौर,6.8,60 लोगों की मौत
- 26 अप्रैल 1986,धर्मशाला, 5.5,6 लोगों की मौत
- 1 अप्रैल 1994,चंबा,4.5,कई घरों को नुकसान
- 24 मार्च 1995,चंबा,4.9,कई घरों को नुकसान
- 9 जुलाई 1997,सुंदरनगर,5,एक हजार घरों को नुकसान
क्या कहते हैं अधिकारी
- कुछ दिन से आ रहे भूकंप के झटकों से प्रदेश में कोई नुकसान नहीं हुआ है। छोटे-छोटे झटके बड़े भूकंप के खतरे को थोड़ा कम करते हैं। भूकंप आने पर तुरंत खुले स्थान पर चले जाना चाहिए या मजबूत टेबल आदि के नीचे छुप जाना चाहिए। -डॉ. मनमोहन सिंह, निदेशक मौसम विभाग।
- भूकंप के छोटे-छोटे झटके बड़े भूकंप को आने से रोकते हैं। भूंकप से होने वाली आपदा से निपटने के लिए प्रदेश पूरी तरह से तैयार है। पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण के साथ टॉक फोर्स गठित की जा रही है। -डीसी राणा, निदेशक आपदा प्रबंधन।